रामनवमी को गर्भगृह तक पहुंचेंगी सूर्य की किरणें, कोणार्क मंदिर की तर्ज पर निर्माण, ऐसा होगा रामलला का दरबार

राम मंदिर तीन मंजिला होगा। पहली मंजिल पर गर्भगृह होगा। इसमें रामलला की प्रतिमा रखी जाएगी। रामनवमी के दिन सूर्य की पहली किरण रामलला की प्रतिमा पर पड़े, इसके लिए विशेषज्ञ प्रयास कर रहे हैं। 

अयोध्या : राम मंदिर (Ram mandir) में हर रामनवमी रामलला का अभिषेक भगवान सूर्य अपनी सुनहरी किरणों से करेंगे। इसी भव्यता के साथ अयोध्या (ayodhya) में बन रहे राम मंदिर का निर्माण आगे बढ़ रहा है। राम मंदिर तीन मंजिला होगा। पहली मंजिल पर गर्भगृह होगा। इसमें रामलला की प्रतिमा रखी जाएगी। रामनवमी के दिन सूर्य की पहली किरण रामलला की प्रतिमा पर पड़े, इसके लिए विशेषज्ञ प्रयास कर रहे हैं। इन किरणों के लिए मंदिर में कोणार्क (Konark) के सूर्य मंदिर की तर्ज पर ही सही कोण पर झरोखे बनाए जाएंगे ताकि चैत्र महीने में शुक्ल पक्ष की नवमी पर रामलला पर सूर्य की किरणें सीधे पड़ें।

2023 के अंत तक बन जाएगा गर्भगृह
मंदिर न्यास को उम्मीद है कि 2 साल यानी 2023 के अंत तक रामलला के मंदिर का गर्भगृह पूरी तरह से बन जाएगा। 2024 की शुरुआत से आम श्रद्धालु वहां रामलला के दर्शन कर सकेंगे। कहा जा रहा है कि रामलला के गर्भगृह में विराजित होने के बाद भी यहां के बाहरी और अंदर की सजावट का काम चलता रहेगा। वैसे तो कोशिश की जा रही है कि गर्भगृह को भव्यता देने के काम का दूसरा चरण 2023 में नवंबर के मध्य तक पूरा कर लिया जाए।

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अध्ययन कर रहे विशेषज्ञ
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि विशेषज्ञों की एक टीम इस प्रयास में जुटी है कि हर रामनवमी पर भगवान श्रीराम के ऊपर सूर्य की किरणें पहुंच सकें। गर्भगृह में विराजमान होने वाले रामलला के ऊपर सूर्य की किरणों को छेद के माध्यम से पहुंचाने के लिए अध्ययन हो रहा है। बताया जा रहा है कि इसके लिए विशेषज्ञों ने खगोलीय अध्ययन किया है। इसरो (ISRO) की भी मदद ली जा रही है। इस कार्य में IIT रूड़की, IIT चेन्नई सहित हैदराबाद के नामी विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। राममंदिर बन जाने पर एक दिन में करीब एक लाख भक्त परिसर में पहुंचेंगे, इसलिए भक्तों के लिए विशेष सुविधाएं विकसित करने पर हमारा फोकस है।

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15 नवंबर से स्तंभ आधार बनेगा
मंदिर के मौजूदा निर्माण कार्य की जानकारी देते हुए न्यास ने उम्मीद जताई कि 15 नवंबर से मंदिर के स्तंभों के आधार का हिस्सा बनना शुरू हो जाएगा। निर्माण की इस प्रक्रिया और चरण को वास्तु शास्त्र की भाषा में कंस्ट्रक्शन ऑफ प्लिंथ कहा जाता है। नवंबर मध्य से प्लिंथ निर्माण शुरू होकर अगले साल अप्रैल तक काफी आगे बढ़ जाएगा। अगले साल रामनवमी के बाद इस स्तंभ आधार पर नक्काशी युक्त खंभों की ऊपरी संरचना बनने लगेगी।

आकर्षण का केंद्र होगा
चंपत राय ने बताया कि मंदिर एक हजार साल तक खड़ा रहे, इसकी व्यवस्था कर दी गई है। यह दुनिया का शायद पहला मंदिर या भवन है जिसके निर्माण कार्य में देश की आठ नामी विशेषज्ञ कंपनियां जुड़ी हुई हैं। राममंदिर सदियों तक अक्षुण्ण रहेगा। चार सौ मीटर लंबा, तीन सौ मीटर चौड़ा, 50 मीटर गहरा व्यास बन रहा है। उन्होंने बताया कि 50 फीट ऊंचे पत्थरों की चट्टान को और मजबूती प्रदान करने के लिए अब इस पर डेढ़ मीटर की राफ्ट ढाली जा रही है। मंदिर आपदाओं से सुरक्षित रहेगा, इसे लेकर तकनीकी एजेंसियों ने आश्वस्त किया है। मंदिर न तो भूकंप के झटके और न ही सरयू की तेज धारा से गिर सकेगा। राममंदिर की भव्यता व तकनीक दुनिया भर के भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होगी।

म्यूजियम और रिसर्च सेंटर भी बनेगा
श्री रामलला के मंदिर में परिसर में एक म्यूजियम भी होगा। इसमें इस पौराणिक और ऐतिहासिक स्थल से संबंधित तमाम जानकारियां और खुदाई में मिली पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं रखी जाएंगी। इसके अलावा यहां एक आर्काइव्स भी होगा, जहां राम जन्म भूमि से संबंधित सारे ऐतिहासिक ग्रंथ, दस्तावेज और पिछली सदियों से अब तक इस स्थान से संबंधित मुकदमों की सारी फाइलें और सभी फरमान, ताम्रपत्र और इतिहास से जुड़ी सारी चीजें होंगी। मंदिर में एक रिसर्च सेंटर भी बनाया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ियां अयोध्या और रामायण सर्किट से जुड़े किसी भी विषय पर शोध कर सकें। इसके साथ ही विशाल ऑडिटोरियम और गौशाला भी होंगी।

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