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कल है ईद-मिलाद-उन-नबी: कई राज्यों में जुलूस पर पाबंदी, गुजरात में शर्तों के साथ छूट, जानिए महत्व-इतिहास
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हजरत मोहम्मद पूरी दुनिया में बसे मुसलमानों के लिए श्रद्धा का केंद्र
दरअसल, ईद मिलाद-उन-नबी (बारावफात) एक ऐसा त्योहार है जो इस्लाम को मानने वाले के लिए बेहद जरूरी है। इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी अल-अव्वल की 12वीं तारीख, 571 ईं. के दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को दुनियाभर के मुसलमान बेहद खुशी के साथ मनाते हैं। इस दिन रातभर इबादत, दुआओं का सिलसिला रहता है और जुलूस निकाले जाते हैं। जाहिर है कि पैगम्बर हजरत मोहम्मद पूरी दुनिया में बसे मुसलमानों के लिए श्रद्धा का केंद्र हैं। इस दिन को ही ईद मिलाद-उन-नबी या फिर बारावफात कहा जाता है। मुस्लिम अपने पैगंबर के पवित्र वचनों को पढ़ते हैं और इन पर अमल करने का अहद करते हैं।
इस्लाम के आखिरी पैगंबर थे हजरत मुहम्मद..
इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद का पूरा नाम पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम था। उनका मक्का शहर में जन्म हुआ था। उनकी माताजी का नाम अमीना बीबी और पिताजी का नाम अब्दुल्लाह था। उन्होंने 25 साल की उम्र में खदीजा नाम की एक विधवा महिला से निकाह किया था। उनके कई बच्चे हुए, जिनमें बेटों की मृत्यु हो गई। उनकी बेटी बीबी फातिमा का निकाह हजरत अली से हुआ था। मान्यता है कि 610 ईसवीं में मक्का के पास हिरा नामक गुफा में हजरत मुहम्मद को ज्ञान प्राप्त हुआ। इसके बाद पैगंबरे-इस्लाम ने दुनिया को इस्लाम धर्म की पवित्र किताब क़ुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया। हजरत मुहम्मद साहब ने तालीम पर जोर दिया और सबके साथ समानता का व्यवहार करने पर बल दिया। उनका उपदेश था कि मानवता को मानने वाला ही महान होता है।
इस तरह मनाते हैं ईद-ए-मिलाद
पैगंबरे-इस्लाम की पैदाइश के इस दिन को लोग बेहद खुशी से मनाते आ रहे हैं। इस दिन घरों और मस्जिदों में रोशनी की जाती है। उन्हें सजाया जाता है। लोग रातभर मस्जिद में इबादत करते हैं। क़ुरान की तिलावत करते हैं। लोगों को मिठाइयां बांटते हैं और गरीबों को दान देते हैं। नबी के बताए नेकी के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं। दान या जकात इस्लाम में बेहद अहम माना जाता है। मान्यता है कि जरूरतमंद व निर्धन लोगों की मदद करने से अल्लाह प्रसन्न होते हैं।
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गुजरात: जुलूसों को कुछ प्रतिबंधों के साथ अनुमति
गुजरात सरकार ने कुछ प्रतिबंधों के साथ 19 अक्टूबर को ईद-ए-मिलाद के जुलूस निकालने की अनुमति दे दी। गृह विभाग ने जारी दिशा-निर्देश में कहा है कि इस्लाम के अंतिम पैगंबर, पैगंबर मोहम्मद की जयंती पर मंगलवार को मनाए जाने वाली ईद-ए-मिलाद के प्रत्येक जुलूस में 15 से ज्यादा लोगों और एक से ज्यादा वाहन की अनुमति नहीं होगी। राज्य के 8 शहरों में नाइट कर्फ्यू के मद्देनजर केवल दिन के समय ही जुलूस निकाला जा सकता है। जुलूस की आवाजाही उनके इलाकों तक ही सीमित रहनी चाहिए ताकि वे कम से कम समय में पूरी हो सकें। कोविड गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करना होगा। दरअसल, इस महीने की शुरुआत में राज्य सरकार ने अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, गांधीनगर, जामनगर, जूनागढ़ और भावनगर में रात 12 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लागू नाइट कर्फ्यू को 10 नवंबर तक बढ़ाने का फैसला किया था।
छत्तीसगढ़: कलेक्टरों ने नहीं दी अनुमति, कई जिलों में जुलूस नहीं
रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में ईद मिलादुन्नबी का जुलूस-ए मोहम्मदी इस बार नहीं निकाला जाएगा। इसका आयोजन करने वाली सीरतुन्नबी कमेटी ने कहा है कि वक्फ बोर्ड के सीईओ के सुझाव पर प्रशासन ने इस बार कोविड की वजह से जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी है। प्रशासन के निर्देश को लेकर समाज में कुछ हद तक सहमति और कुछ लोगों में असहमति भी है, लेकिन अब ये तय किया जा चुका है कि जुलूस नहीं निकाला जाएगा। वक्फ बोर्ड के सीईओ के आदेश का विरोध मुस्लिम समाज के एक हिस्से से सामने आया है। समाज के कुछ लोगों ने सीईओ के पत्र को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी। सोशल मीडिया के जरिए कहा जा रहा था कि सीईओ का पत्र लिखना उचित नहीं है। शहर सीरतुन्नबी कमेटी रायपुर के अध्यक्ष मो. नईम रिजवी ने कहा कि कोविड के मद्देनजर जिला प्रशासन ने इस साल जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी है। इस संबंध में रायपुर कलेक्टर से चर्चा हो चुकी है। हम लोगों ने तय किया है कि प्रशासन ने जो निर्देश दिया है, उसका पालन किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश: जुलूस-ए-मोहम्मदी पर पाबंदी
यूपी में भी कई जिलों में ईद मिलादुन्नबी का जुलूस ना निकालने पर सहमति जताई गई है। जलसों का आयोजन किया जा सकता है। कोरोना संक्रमण को लेकर ये दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अलावा शांतिपूर्ण तरीके से आयोजन किए जाने के लिए भी कहा है। जिससे आपसी सौहार्द बना रहे। दरअसल, पैगंबर-ए-इस्लाम के जन्मदिवस की खुशी में जश्न-ए-चिरागां होता है। जगह-जगह सजावट होती है। जलसे आयोजित किए जाते हैं। मुस्लिम समाज की तरफ से इसकी इजाजत मांगी गई है। प्रशासनिक अफसरों का कहना है कि रात 11 बजे के बाद कोरोना कर्फ्यू रहता है। इसके लिए उच्चाधिकारियों से वार्ता के बाद निर्णय लिया जाएगा।
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