सपा के साथ हमारे वैचारिक मतभेद हैं लेकिन हम राज्य में अब बदलाव चाहते हैं: संजय राउत

Published : Jan 13, 2022, 12:37 PM IST
सपा के साथ हमारे वैचारिक मतभेद हैं लेकिन हम राज्य में अब बदलाव चाहते हैं: संजय राउत

सार

यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन प्रक्रिया का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है सभी पार्टियां अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर रही हैं। इसी बीच शिवसेना सांसद एवं पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने ऐलान किया है कि शिवसेना यूपी में किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी। राउत ने कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ हमारे वैचारिक मतभेद हैं लेकिन हम राज्य में अब बदलाव चाहते हैं। हम यूपी में लंबे समय से काम कर रहे हैं लेकिन चुनाव नहीं लड़ा क्योंकि हम पहले बीजेपी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे। 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में शिवसेना (Shiv Sena) भी दमखम दिखाने को तैयार है। शिवसेना ने ऐलान कर दिया है कि वह किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी, बल्कि अकेले ही यूपी चुनाव (UP Chunav) लड़ेगी। शिवसेना सांसद एवं पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने ऐलान किया है कि प्रदेश में शिवसेना 50-100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 

यूपी में किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी शिवसेना
यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन प्रक्रिया का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है सभी पार्टियां अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर रही हैं। इसी बीच शिवसेना सांसद एवं पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने ऐलान किया है कि शिवसेना यूपी में किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी। राउत ने कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ हमारे वैचारिक मतभेद हैं लेकिन हम राज्य में अब बदलाव चाहते हैं। हम यूपी में लंबे समय से काम कर रहे हैं लेकिन चुनाव नहीं लड़ा क्योंकि हम पहले बीजेपी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे। 

शिवसेना सांसद संजय राउत ने गुरुवार को कहा कि हम चाहते हैं कि यूपी में परिवर्तन हो और परिवर्तन हो रहा है। मैं पश्चिम यूपी जा रहा हूं. वहां किसान नेता राकेश टिकैत से मिलूंगा और जानकारी लूंगा कि वो क्या चाहते हैं। अगर हमें यूपी में लड़ना हैं, तो हमें किसानों का आशीर्वाद चाहिए। 

संजय राउत ने कहा कि वो खुद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दौरे पर होंगे. यूपी की जनता बीजेपी की नीतियों से आजिज आ चुकी है। बीजेपी का चरित्र यही है कि वो दो तरह की बात करती है। जो दल उसकी नीति के खिलाफ बोलता है तो उसके नेताओं के पीछे केंद्रीय जांच एजेंसियां लगा दी जाती है। जनता इस बात को समझती है। 

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