
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बुधवार 18 मई को होने वाली सुनवाई टल गई। अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते यह सुनवाई टल गई। जिसके बाद मामले को लेकर अब 20 मई को सुनवाई की जाएगी। बुधवार को वजू के स्थान में परिवर्तन, दीवार तोड़ने और नमाज में छूट जैसे अहम बिंदुओं पर सुनवाई होनी थी। हालांकि अधिवक्ताओं की हड़ताल की वजह से इसे टाल दिया गया और अब मामले की सुनवाई 20 मई को की जाएगी।
डीजीसी सिविल महेंद्र पांडेय ने की थी ये अपील
गौरतलब है कि ज्ञानवापी को लेकर डीजीसी सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने एक एप्लीकेशन दी थी। जिसमें तीन अहम बिंदुओं का जिक्र था। इस एप्लीकेशन में कहा गया था कि न्यायालय ने जिस परिसर को सील करने का आदेश पारित किया उसमें मानव निर्मित 3 फीट का गहरा तालाब है। इसके चारों तरफ पाइप लाइन व नल लगा हुआ है। इस परिसर के सील हो जाने के बाद वजू करने के लिए पाइप लाइन को सील क्षेत्र से बाहर शिफ्ट करना आवश्यक प्रतीत होता है। दूसरे बिंदु में कहा गया था कि सील किए गए परिसर में कुछ शौचालय भी मौजूद हैं। इनका इस्तेमाल नमाजी करते हैं। इसके बंद होने के बाद यहां कोई एंट्री नहीं है। लिहाजा इसको लेकर भी न्यायालय का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया है। तीसरे अहम बिंदु में बताया गया कि मानव निर्मित तालाब में पानी भरा हुआ है। इसमें कुछ मछलियां भी हैं। परिसल को सील बंद करने के बाद यह मछलियां भी बंद हो गई हैं। लिहाजा उनके जीवन पर खतरा हो सकता है। इन्हें स्थानान्तरित करना अत्यंत आवश्यक प्रतीत होता है।
मामले को लेकर हिंदू पक्ष ने भी दिया था एक एप्लीकेशन
ज्ञानवापी मामले को लेकर एक अन्य एप्लीकेशन पर भी बुधवार को सुनवाई होनी थी जो कि सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओऱ से दिया गया था। इसमें कहा गया था कि जिस जगह पर शिवलिंग मिला है उस जगह या आसपास कोई वजू न करे। शिवलिंग के पूर्व और उत्तर दिशा की दीवार के साथ नंदी के उत्तर दिशा की दीवार को तोड़कर मलबा हटाया जाए। शिवलिंग की लंबाई और चौड़ाई का पता लगाने के लिए कमीशन की कार्रवाई हो। बैरिकेडिंग के अंदर पश्चिम दिशा की दीवार को तोड़कर मंडपम की भी वीडियोग्राफी करवाई जाए।
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में आखिर क्या हैं दोनों पक्षों के अलग-अलग दावे
Gyanvapi Masjid dispute:आखिर क्या है ज्ञानवापी का मतलब? जानें इसका इतिहास और विवाद
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