महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलाधिपति एवं भारत अध्ययन केन्द्र के शताब्दी पीठ आचार्य प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने हिन्दू धर्म में अन्तर्निहित एकता के सूत्रों एवं उसकी आचार संहिता को स्थापित करते हुए कहा कि हिन्दू धर्म में ऋत्, व्रत, सत्य आदि धर्म के ही पर्याय हैं। हिन्दू अध्ययन का यह पाठ्यक्रम इनको अद्यतन संदर्भों से जोड़ने का उपक्रम है। हिन्दू धर्म सतत गतिशील युक्तिपूर्ण एवं एक वैज्ञानिक पद्धति है।
वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केन्द्र सभागार में मंगलवार को पूर्वाह्ण 11 बजे से आयोजित केन्द्र द्वारा संचालित एम.ए. इन हिन्दू स्टडीज़ (परास्नातक हिन्दू अध्ययन पाठ्यक्रम) के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. विजय कुमार शुक्ल ने हिन्दू अध्ययन पाठ्यक्रम को महामना पं. मदनमोहन मालवीय की संकल्पना के अनुरूप बताते हुए इसकी महत्ता को रेखांकित किया। अंतर वैषयिक यह पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार संचालित किया जा रहा है।
ये होगा पाठ्यक्रम
दर्शन शास्त्र विभाग हिंदुत्व का लक्ष्य, आधार और रूपरेखा, तो संस्कृति विभाग पुरा उपकरणों, स्थापत्य कला और उत्खनन से मिले सबूतों का विश्लेषण करेगा। संस्कृत विभाग के आचार्य श्लोक, शास्त्रों और प्राचीन साहित्यों में छिपे काम की बातों को उजागर करेंगे। वहीं भारत अध्ययन केंद्र हिंदू लाइफ स्टाइल और आध्यात्मिक साइंस पर फोकस करेगा। भारत अध्ययन केंद्र बताएगा कि वैदिक युग में तत्व विज्ञान, प्राचीन युद्ध कौशल, सैन्य विज्ञान, कला-विज्ञान किस तरह से उन्नति कर रहीं थी। आज उसकी क्या संभावना है। वहीं, रामायण, महाभारत, ज्ञान मीमांसा, नाट्यकला, भाषा विज्ञान, कालिदास, तुलसीदास, आर्य समाज, बुद्ध, जैनी और स्वामी विवेकानंद के बताए रास्तों से छात्रों को अवगत कराया जाएगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, वाराणसी के निदेशक डॉ. विजय शंकर शुक्ल ने हिन्दू अध्ययन पाठ्यक्रम के महत्त्व को स्थापित करते हुए बताया कि इसका सूत्र 18वीं सदी के विद्वान् पं. गंगानाथ झा से प्रारम्भ होते हुए महामना मालवीय जी की संकल्पना में रूपांतरित होता है लेकिन किन्हीं कारणों से यह क्रम टूट गया था जो आज इस पाठ्यक्रम के माध्यम से पूर्णता को प्राप्त हो रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलाधिपति एवं भारत अध्ययन केन्द्र के शताब्दी पीठ आचार्य प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने हिन्दू धर्म में अन्तर्निहित एकता के सूत्रों एवं उसकी आचार संहिता को स्थापित करते हुए कहा कि हिन्दू धर्म में ऋत्, व्रत, सत्य आदि धर्म के ही पर्याय हैं। हिन्दू अध्ययन का यह पाठ्यक्रम इनको अद्यतन संदर्भों से जोड़ने का उपक्रम है। हिन्दू धर्म सतत गतिशील युक्तिपूर्ण एवं एक वैज्ञानिक पद्धति है।
भारत अध्ययन केन्द्र की शताब्दी पीठाचार्य प्रो. मालिनी अवस्थी ने ‘धर्मो रक्षति रक्षितः’ को संदर्भित करते हुए विद्वान् योद्धाओं के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया जो सनातन परम्परा पर हो रहे कुठाराघातों को रोक सकें। शताब्दी पीठ आचार्य प्रो. राकेश कुमार उपाध्याय ने इस पाठ्यक्रम को सनातन जीवन मूल्यों के निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण बताया तथा प्रो. युगल किशोर मिश्र ने गायत्री मंत्र के माध्यम से हिन्दू धर्म में वैज्ञानिकता को प्रमाणित किया।
सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की संक्षिप्त रूपरेखा केन्द्र के समन्वयक प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत हिन्दू अध्ययन के पाठ्यक्रम समन्वयक प्रो. श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमित कुमार पाण्डेय, संचालन डॉ. शिल्पा सिंह ने किया। कार्यक्रम में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के साथ-साथ भारत अध्ययन केन्द्र के सभी सेण्टेनरी विजिटिंग फेलो एवं देश के विभिन्न भागों से वरिष्ठ विद्वान् जुड़े रहे। कार्यक्रम राष्ट्रगान के साथ सम्पन्न हुआ।