लखनऊ: 'बूथ सशक्तिकरण अभियान' के सहारे 2024 की तैयारियों को जोर देगी बीजेपी, जानिए क्या है खास प्लान

राजधानी लखनऊ स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय पर शुक्रवार शाम  आयोजित सांसदों की बूथ सशक्तीकरण कार्यशाला में बूथ मजबूत करने का मंत्र दिया गया। प्रत्येक सांसद को उनके संसदीय क्षेत्र के हर विधानसभा क्षेत्र में 25-25 कमजोर बूथों पर लगातार प्रवास करना होगा। 

Hemendra Tripathi | Published : Jun 18, 2022 2:43 AM IST / Updated: Jun 18 2022, 10:04 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बीजेपी (BJP) को विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Election 2022) के दौरान प्रचंड जीत हासिल होने के बाद अब पार्टी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) की तैयारियों को जोर देने में जुट गई है। राजधानी लखनऊ स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय पर शुक्रवार शाम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह की अध्यक्षता में आयोजित सांसदों की बूथ सशक्तीकरण कार्यशाला में बूथ मजबूत करने का मंत्र दिया गया। इस दौरान  लोकसभा चुनाव 2024 में मिशन 75 को पूरा करने के लिए पार्टी के लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों को सौ-सौ बूथ को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है।

सांसदों को मिली जिम्मेदारी, 25-25 बूथों पर लगातार करना होगा प्रवास
पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व बूथ सशक्तीकरण अभियान के प्रभारी बैजयंत पांडा ने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 1.63 लाख बूथों में से करीब 1.25 लाख पर जीत मिली थी। जिन बूथों पर जीत हासिल नहीं हुई, अब उन्हें मजबूत बनाना है। उन्होंने बैठक में शामिल भाजपा सांसदों को निर्देशित करते हुए कहा कि प्रत्येक सांसद को उनके संसदीय क्षेत्र के हर विधानसभा क्षेत्र में 25-25 कमजोर बूथों पर लगातार प्रवास करना होगा। इसमें स्थानीय कार्यकर्ताओं, बूथ कमेटी व विधायकों भी उनकी मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि कमजोर बूथों को मजबूत करने के लिए लाभार्थियों से नियमित संपर्क व संवाद किया जाएगा। अब तक योजनाओं वंचित परिवारों को लाभांवित कराने का अभियान भी चलेगा।

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'कमजोर बूथों को मजबूत बनाकर जीत की राह बनानी होगी आसान'
पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व बूथ सशक्तीकरण अभियान के प्रभारी बैजयंत पांडा ने कहा कि पार्टी ने 2019 के बूथवार परिणाम के आधार पर बूथों को ए, बी और सी श्रेणी में बांटा है। संपर्क और संवाद कर बूथ के कमजोर होने के कारणों का पता लगाकर उनका समाधान करना है। इसके अतिरिक्त बूथ के क्षेत्र में स्थित केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क कर उन्हें पार्टी से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि कमजोर बूथों को मजबूत बनाकर जीत की राह पहले से अधिक आसान की जा सकती है।

2019 में हारी हुई 16 सीटों पर होगा मंथन
जलशक्ति मंत्री व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि भाजपा को लोकसभा चुनाव 2019 में 80 में से 64 सीट पर जीत मिली थी। जबकि  बसपा को दस, सपा को पांच और कांग्रेस को एक। बसपा के लगातार कमजोर होने की स्थिति अब भाजपा ने बसपा के कब्जे वाली दस सीटों के लिए अलग से रणनीति बनाना शुरू किया है। वहीं अमेठी के बाद अब रायबरेली को भी कांग्रेस के हाथ से छीनने की योजना है। सपा के कब्जे वाली पांच सीटों पर भी भाजपा नए सिरे से काम शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि 18 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो सकता है। ऐसे में सांसदों को बूथ सशक्तीकरण का पहला चरण उससे पहले पूरा करना होगा।

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