Inside Story: योगी के गढ़ गोरखपुर से कभी महिलाएं नहीं बनीं विधायक, चिल्लूपार से भी आधी आबादी को नहीं मिली जीत

 गोरखपुर जिले की शहर और चिल्लूपार सीट से आजादी के बाद से अब तक कोई महिला विधायक नहीं बनी हैं। आलम ये है कि यहां की स्थिति को देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियां कभी महिलाओं पर दांव भी नहीं लगाना चाहती हैं। योगी के गढ़ में प्रत्याशी बदलते रहे और भाजपा लगातार विजयी होती रही, लेकिन बीजेपी ने कभी महिला कैंडिडेट को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया।

अनुराग पाण्डेय
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की शहर और चिल्लूपार सीट से आजादी के बाद से अब तक कोई महिला विधायक नहीं बनी हैं। आलम ये है कि यहां की स्थिति को देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियां कभी महिलाओं पर दांव भी नहीं लगाना चाहती हैं। योगी के गढ़ में प्रत्याशी बदलते रहे और भाजपा लगातार विजयी होती रही, लेकिन बीजेपी ने कभी महिला कैंडिडेट को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया। जबकि गोरखपुर सदर से भाजपा के विरोध में कई महिला कैंडिडेट चुनाव मैदान में आईं जरूर लेकिन जनता का उन्हें ​जरा भी सपोर्ट नहीं मिला। गोरखपुर शहर और चिल्लूपार में जनता का रूझान देख राजनीतिक पार्टियां भी टिकट देने में महिलाओं से दूरी बनाती जा रही हैं। 

अगर हम बात करें सदर विधानसभा सीट की तो सबसे पहले महंत अवेद्यनाथ, फिर लम्बे समय तक शिव प्रताप शुक्ला और फिर वर्तमान विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल इस सीट पर काबिज रहे। महिला दावेदारों ने अन्य पार्टियों से जोर कोशिश तो बहुत की लेकिन इस सीट से विधायक नहीं बन सकीं। 

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गोरखपुर की 9 सीट पर केवल एक महिला विधायक
हैरान करने वाली बात तो यह है कि वर्तमान में सभी 9 विधानसभा सीटों में महज एक चौरीचौरा से ही महिला विधायक हैं। इसके अलावा गोरखपुर शहर से वर्तमान में डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल, ग्रामीण सीट से विपिन सिंह, कैंपियरगंज से फतेह बहादुर, खजनी से संत प्रसाद, सहजनवां से शीतल प्रसाद पाण्डेय, पिपराइच से महेन्द्रपाल सिंह, चिल्लूपार से विनय तिवारी विधायक हैं। वहीं साल 2022 विधानसभा चुनाव में भी गोरखपुर की 9 विधान सभा सीट पर जो समीकरण दिख रहा है, उसमे भी कहीं मजबूत महिला कैंडिडेट नहीं दिख रही हैं। 

चिल्लूपार सीट पर भी नहीं बनी महिला विधायक
जिले की चिल्लूपार और गोरखपुर शहर ​विधानसभा की जमीन पर आज तक कभी महिला दावेदारों का विधायक के रूप में उदय नहीं हो सका। एक भी महिला इन दोनों सीट से विधायक नहीं बन सकी। चिल्लूपार विधानसभा सीट की तो शुरुआती दिनों से ही काफी चर्चा में रही है। वर्ष 1967 औरा 69 में यहां से कद्दावर नेता कल्पनाथ सिंह विधायक बने जिनकी प्रदेश की राजनीति में अच्छी धमक रही। इसके बाद कभी पंडित भृगुनाथ तो कभी कल्पनाथ सिंह जीतते रहे। इसके बाद पंडित हरिशंकर तिवारी का दौर आया। करीब तीन दशक तक चिल्लूपार की राजनीति में उन्हीं की धमक रही। राजेश त्रिपाठी भी 2007 व 2012 का चुनाव जीतकर चर्चा में बने रहे। इस बीच महिलाएं मैदान में तो उतरी लेकिन उसे जीत में नहीं बदल सकीं।

2002 से 2017 तक चिल्लूपार और शहर सीट पर महिलाओं की भागीदारी

2002
विधानसभा पुरुष महिला
गोरखपुर सदर 1903
चिल्लूपार 1200

2007
विधानसभा पुरुष महिला
गोरखपुर सदर 1903
चिल्लूपार 1200

2012
विधानसभा पुरुष महिला
गोरखपुर सदर 3201
चिल्लूपार 2601

2017
विधानसभा पुरुष महिला
गोरखपुर सदर 2105
चिल्लूपार 1103

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