काशी की धार्मिक यात्राओं और दर्शन का काफी महत्व है। पुराणों में भी इसका जिक्र देखने को मिलता है। यहां पर्यटकों के लिए तमाम व्यवस्थाएं की जा रही हैं जिससे किसी भी यात्री को परेशानी न हो।
अनुज तिवारी
वाराणसी: भगवान शंकर के त्रिशूल के आकार के अनुरूप काशी नगरी तीन खंडों में बसी हुई है। इन्हें विश्वेश्वर खंड, केदारेश्वर खंड और ओंकारेश्वर खंड के नाम से जाना जाता है। तीनों खंड में पौराणिक महत्व वाले सैकड़ों मंदिर हैं। सनातन धर्म के अनुयायी इन तीनों खंड की अंतरगृही परिक्रमा करते हैं। ऐसी मान्यता है की इस पवित्र यात्रा से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तीनों अन्तगृही यात्राओं में पड़ने वाले देवस्थलों का 3.08 करोड़ रुपए से जीर्णोद्धार करा रही है।
पुराणों में काशी की यात्राओं का काफी महत्व
विकास का पर्याय बन रहे ब्रांड बनारस में धार्मिक पर्यटन का भी तेजी से विकास हो रहा है। काशी में धार्मिक यात्राओं और दर्शन का काफी महत्व है। पुराणों से भी पुरानी काशी में पंचकोसी यात्रा हो या अंतरगृही यात्रा, सनातन धर्म को मानने वाले पुण्य लाभ के लिए इन यात्राओं को सदियों से करते आ रहे हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद योगी सरकार अंतरगृही परिक्रमा मार्ग में मौजूद मंदिरों का जीर्णोद्धार करा रही है। साथ ही पर्यटकों के लिए अन्य सुविधाएं भी विकसित किये जा रहे हैं, जिससे धार्मिक यात्रा करने वालों को किसी भी तरह की परेशानी न हो।
यूपी प्रोजेक्ट्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड
वाराणसी के परियोजना प्रबंधक विनय जैन ने बताया कि तीन अंतरगृही यात्राओं के मार्ग में कुल 301 मंदिरों को चिह्नित किया गया है। इनके जीर्णोद्धार का कार्य तेजी से हो रहा है। मुख्य मंदिरों के साथ ही इनके परिसरों को भी संवारा जा रहा है। उन्होंने बताया कि तीनों अंतरगृही यात्रा के जीर्णोद्धार का काम मार्च 2023 तक पूरा हो जाएगा। बता दें कि पहले की सरकारों द्वारा इस ओर ध्यान न देने से ये यात्राएं और इनके मार्ग ना सिर्फ गुम होने की कगार पर पहुंच गये थे, बल्कि इनकी स्थिति भी बदहाल थी। योगी सरकार अब एक बार फिर इन्हें पुनर्जीवित कर रही है।