हर समय चिंता, बेचैनी और भविष्य का डर ये है एंग्जाइटी डिसऑर्डर नाम की बीमारी

हर समय चिंता, बेचैनी और भविष्य का डर ये है एंग्जाइटी डिसऑर्डर नाम की बीमारी

Published : Sep 19, 2019, 02:46 PM IST

भारत में लगातार एंग्जाइटी डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। भारत के महानगरों में 16 % लोग एंग्जाइटी डिसऑर्डर के शिकार हैं। महानगरों के करीब 50% लोग अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते। आधुनिक अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार अनिद्रा करीब 86 % रोगों का कारण है, जिनमें अवसाद व एंग्जाइटी सबसे प्रमुख हैं। 

हेल्थ कैप्सुल: भारत में लगातार एंग्जाइटी डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। भारत के महानगरों में 16 % लोग एंग्जाइटी डिसऑर्डर के शिकार हैं। महानगरों के करीब 50% लोग अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते। आधुनिक अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार अनिद्रा करीब 86 % रोगों का कारण है, जिनमें अवसाद व एंग्जाइटी सबसे प्रमुख हैं। मनोचिकित्स रूमा भट्टाचार्य  ने बताई मरीज की कहानी। एंग्जाइटी का बना रहना कई रोगों का शिकार बना देता है । हर समय की हड़बड़ाहट, एक काम से दूसरे काम पर दौड़ता मस्तिष्क सब कुछ सही होने के बावजूद एक स्थायी डर  ये एंग्जाइटी डिसऑर्डर  है।हर समय की हड़बड़ाहट, एक काम से दूसरे काम पर दौड़ता मस्तिष्क, सब कुछ सही होने के बावजूद एक स्थायी डर, छोटी-छोटी बातों पर घेर लेने वाले फिक्र के बादल.. ये किन्हीं एक या दो नहीं, बल्कि अट्ठानवें प्रतिशत भारतीयों की जीवनशैली का हिस्सा हैं। आप  कैसे खुद को शिकार बनने से रोक सकते हैं, बता रही हैं मनोचिकित्स रूमा भट्टाचार्य

एंग्जाइटी डिसऑर्डर के कारण क्या हैं  ?
लंबे समय तक चलने वाला तनाव और अनिद्रा    
 हर समय चिंता, बेचैनी और भविष्य का डर  
 थकान, सिरदर्द और अनिद्रा 
आनुवंशिक कारण भी इसकी वजह हो सकते हैं 
शारीरिक कमजोरी।
याददाश्त कमजोर पड़ जाना।
लगातार चिंतित रहना।
एकाग्रता में कमी आना, आंख के आगे तैरते हुए बिंदु दिखायी देना।
घबराहट, डर और असहजता महसूस होना।
नकारात्मक विचारों पर काबू न होना व अप्रिय सपने दिखना।  

एंग्जाइटी डिसआर्डर का इलाज 
जीवनशैली में बदलाव 
नियमित समय पर खाएं और सोने तथा उठने का भी एक निश्चित समय बनाएं
साइकोथेरेपी का उपयोग करें

मन पर लगाएं लगाम 
अपने लिए समय निकालना सीखें। हर बात में न उलझते हुए, जो काम कर रहे हैं, उसे मन लगा कर करें। अपनी अपेक्षाओं को कम करें। अपनी क्षमताओं का आकलन करके व्यावहारिक लक्ष्य बनाएं। कामों की प्राथमिकता तय करें। एक साथ कई काम करने से बचें। दिनभर में 15 मिनट का समय अपने लिए जरूर निकालें आत्मविश्लेषण करें। रिश्तों को एंज्वॉय करें।

मनोवैज्ञानिक से मिलें
हमारे देश में मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता का अभाव है। 90% रोगी तो उपचार के लिए कभी अस्पताल भी नहीं जाते। यदि एंग्जाइटी की समस्या से लंबे समय से जूझ रहे हैं तो किसी अच्छे मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से मिलने से परहेज न करें।  दवाओं से किसी मानसिक रोग के उपचार को फार्मेकोथेरेपी कहते हैं। एंग्जाइटी डिसऑर्डर के उपचार के लिये बाजार में कईं प्रभावकारी दवाएं उपलब्ध हैं। कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह  के नहीं लेनी चाहिए।

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