कोरोना वायरस अब धीरे धीरे अपने संक्रमण का तरीका बदल रहा है। नई रिसर्च से पता चला है कि फेफड़ों के बाद अब यह आंतों के जरिए आंतों में घुसने लगा है। संक्रमण के बाद रक्त के थक्के जम रहे हैं जो किडनी, लिवर, हार्ट और फेफड़ों के लिए जानलेवा बन रहे हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन का 'हैप्पी हाइपोक्सिया' स्तर डॉक्टरों के लिए पहेली बन गया है। राजस्थान में कोरोना से हुई 125 मौतों में से कुछ मौतें ऐसे हुई, जिनमें आदमी पहले मर गया और बाद में रिपोर्ट पॉजिटिव आई। कुछ तो ऐसे मामले हैं, जिनमें दस मिनट में ही बिना लक्षण आदमी ने दम तोड़ दिया और बाद में रिपोर्ट पाॅजिटिव आई। एक-दो तो ऐसे आ गए, जो खड़े खड़े चक्कर आकर गिरे और सांसें थम गईं। इसे हैप्पी हायपॉक्सिया कहते हैं। भोपाल की सिटी हॉस्पिटल की डॉक्टर अंजू गुप्ता से समझते हैं आखिर क्या है हैप्पी हायपॉक्सिया।
वीडियो डेस्क। कोरोना वायरस अब धीरे धीरे अपने संक्रमण का तरीका बदल रहा है। नई रिसर्च से पता चला है कि फेफड़ों के बाद अब यह आंतों के जरिए आंतों में घुसने लगा है। संक्रमण के बाद रक्त के थक्के जम रहे हैं जो किडनी, लिवर, हार्ट और फेफड़ों के लिए जानलेवा बन रहे हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन का 'हैप्पी हाइपोक्सिया' स्तर डॉक्टरों के लिए पहेली बन गया है। राजस्थान में कोरोना से हुई 125 मौतों में से कुछ मौतें ऐसे हुई, जिनमें आदमी पहले मर गया और बाद में रिपोर्ट पॉजिटिव आई। कुछ तो ऐसे मामले हैं, जिनमें दस मिनट में ही बिना लक्षण आदमी ने दम तोड़ दिया और बाद में रिपोर्ट पाॅजिटिव आई। एक-दो तो ऐसे आ गए, जो खड़े खड़े चक्कर आकर गिरे और सांसें थम गईं। इसे हैप्पी हायपॉक्सिया कहते हैं। भोपाल की सिटी हॉस्पिटल की डॉक्टर अंजू गुप्ता से समझते हैं आखिर क्या है हैप्पी हायपॉक्सिया।
पहला खतरा : हैप्पी हायपॉक्सिया
कोरोना मरीजों की एक नई मेडिकल कंडीशन डॉक्टरों के लिए रहस्य बन गई है। यह ऐसी स्थिति है जब कोरोना पीड़ित के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी गिर जाता है लेकिन फिर भी वह सामान्य नजर आता है। अपने करीबी लोगों से आराम से बातें करता रहता है।
डॉक्टरों ने ऐसी स्थिति को 'हैप्पी हाइपोक्सिया' (हाइपो का मतलब कमी) का नाम दिया गया है। एक्सपर्ट का कहना है कि यह अजीब सी अवस्था मरीज की मौत का कारण बन सकती है। ब्रिटेन के मैनचेस्टर रॉयल इनफरमरी हॉस्पिटल के एनेस्थिशियोलॉजिस्ट डॉ. जोनाथन स्मिथ का कहना है कि कोरोना में हाइपॉक्सिया (ऑक्सीजन में कमी) के मामले काफी पेचीदा हैं।एक स्वस्थ इंसान में कम से कम ऑक्सीजन का स्तर 95 फीसदी होता है लेकिन कोरोना के जो मामले सामने आ रहे हैं उनमें यह स्तर 70 से 80 फीसदी है। कुछ में तो यह 50 फीसदी से भी कम है। डॉ. जोनाथन के मुताबिक, फ्लू और इंफ्लुएंजा के मामलों में भी ऐसा नहीं देखा गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ऐसे में शरीर में ऑक्सीजन का स्तर घट रहा है और रिएक्शन के तौर पर कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है। यह स्थिति काफी घातक है। फेफड़ों में सूजन आने पर ऑक्सीजन आसानी से रक्त में नहीं मिल पाती है और यह जानलेवा साबित हो सकता है।