चिकनगुनिया से आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के बहुत सारे देश परेशान हैं। यह बीमारी जानलेवा तो नहीं है लेकिन आम जन-जीवन को बेहद अस्त-व्यस्त कर देती है, इसलिए चिकनगुनिया के संक्रमण का इलाज बहुत ही आवश्यक है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सिटी अस्पताल अधीक्षक डॉ. सव्यसाची गुप्ता ने बताया कि सबसे ज़रूरी इलाज तो चिकनगुनिया का यही है कि हम इससे रोकथाम ही करें। चिकनगुनिया मच्छरों के काटने से फैलता है इसलिए हमें इसके रोकथाम के लिए मच्छरों से खुद को बचाना होगा। म
वीडियो डेस्क। चिकनगुनिया से आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के बहुत सारे देश परेशान हैं। यह बीमारी जानलेवा तो नहीं है लेकिन आम जन-जीवन को बेहद अस्त-व्यस्त कर देती है, इसलिए चिकनगुनिया के संक्रमण का इलाज बहुत ही आवश्यक है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सिटी अस्पताल अधीक्षक डॉ. सव्यसाची गुप्ता ने बताया कि सबसे ज़रूरी इलाज तो चिकनगुनिया का यही है कि हम इससे रोकथाम ही करें। चिकनगुनिया मच्छरों के काटने से फैलता है इसलिए हमें इसके रोकथाम के लिए मच्छरों से खुद को बचाना होगा। मच्छर ज्यादातर अपनी प्रजनन प्रक्रिया पानी में करते हैं, इसीलिए हमें अपने आस-पास पानी को एकत्र नहीं होने देना चाहिए। अपने आस-पास जैसे गमलों में, बर्तनों में, कूलर आदि में पानी एकत्र होने से रोकें। खुद को मच्छर से बचाने के लिए हमें पूरे कपड़े पहनने चाहिए जिससे हमारा शरीर पूरी तरह ढका हुआ रह सके और मच्छरों के संपर्क में हमारी त्वचा नहीं आए। रात को मच्छरदानी और अगरबत्ती और मच्छर को भगाने वाली लिक्विड का प्रयोग करना चाहिए। इसके लक्षणों जैसे चक्कर, सिरदर्द, पेटदर्द व सूजन को नजरअंदाज नहीं करना है। जो आगे चलकर उनके लिए रोगों की वजह बनते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बार-बार ऐसे लक्षणों को टालना सही नहीं क्योंकि ये गंभीर समस्याओं के संकेत हो सकते हैं।थकान या कमजोरी की वजह मानकर टाल देती जबकि कई बार ये खून की कमी, कान की कोई समस्या, सिर व गर्दन में किसी चोट के लक्षण हो सकते हैं। कुछ मामलों में यदि चक्कर के साथ गिरने व उल्टी जैसी तकलीफ हों तो ब्रेन ट्यूमर भी हो सकता है। बुखार होने पर विशेषज्ञ की सलाह से ही दवा लें क्योंकि डॉक्टर आपके सभी लक्षणों को जांचने के बाद ही मेडिसिन देते हैं।