आजादी के अमृत महोत्सव में आज बात आजादी की लड़ाई लड़ने वाले उस क्रांतिकारी कि जिसका नाम आज भी पूरा देश बड़े अदब और शान से लेता है। जी हां बात शहीद भगत सिंह की। जिन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था।
वीडियो डेस्क। आजादी के अमृत महोत्सव में आज बात आजादी की लड़ाई लड़ने वाले उस क्रांतिकारी कि जिसका नाम आज भी पूरा देश बड़े अदब और शान से लेता है। जी हां बात शहीद भगत सिंह की। जिन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। जिन्होंने इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया था। वो भगत सिंह जो हर हिंदुस्तानी में आजादी की अलख जला कर देश के लिए हसंते हुए शहीद हो गए। भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था। जो अब पाकिस्तान में है। एक राष्ट्रवादी परिवार में जन्मे भगत सिंह बचपन में ही स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति आकर्षित थे।
तेजतर्रार राष्ट्रवादी नेता लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित लाहौर के नेशनल कॉलेज में पढ़ते हुए सिंह को राजनीतिक आंदोलन में लाया गया था। सिंह और उनके युवा मित्रों ने गांधी की अहिंसा की सदस्यता नहीं ली और अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में विश्वास किया। सिंह ने 1928 में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन का गठन किया। क्रांतिकारी राष्ट्रवाद, मार्क्सवाद और अराजकतावाद मार्गदर्शक विचारधाराएं थीं। भगत सिंह ने विदेशी प्रभुत्व के खिलाफ जमकर लिखा। आइये जानते हैं भगत सिंह की कहानी।