वह हसरत मोहानी थे। स्वतंत्रता सेनानी, कवि, कम्युनिस्ट। वह इस्लाम में भी एक दृढ़ आस्तिक थे और एक महान कृष्ण भक्त और साथ ही एक सूफी अनुयायी भी थे। आजादी के अमृत महोत्सव में जानें हसरत मोहानी की कहानी जिन्होंने उठाई थी पूर्ण स्वतंत्रता की आवाज
वीडियो डेस्क। हसरत मोहानी एक स्वतंत्रता सेनानी, कवि और कम्युनिस्ट थे। वह इस्लाम में भी एक दृढ़ आस्तिक थे। इतना ही नहीं वे महान कृष्ण भक्त और साथ ही वे एक सूफी अनुयायी भी थे। उनका जन्म 1875 में यूपी के उन्नाव के मोहन गांव में हुआ था। उनके माता-पिता ने उनका नाम सैयद फजल उल हसन रखा था, जो ईरान से प्रवासी थे और हसरत मोहानी उनका उपनाम था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान उन्हें ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित कर दिया गया था। 1903 में मोहानी को गिरफ्तार कर लिया गया और वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। हजरत मोहानी और स्वामी कुमारानंद ने 1921 के कांग्रेस पार्टी के अहमदाबाद अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता की मांग उठाने वाले पहले व्यक्ति थे। 1925 में वे कानपुर में कम्युनिस्ट पार्टी के पहले सम्मेलन के मुख्य आयोजक बने और कम्युनिस्ट के संस्थापकों में से एक बने। बाद में उन्होंने आजाद पार्टी नाम से एक नई पार्टी बनाई और बाद में मुस्लिम लीग में भी शामिल हो गए।