वीडियो डेस्क। शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी दाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ में गदा और नीचे वाले हाथ में चक्र है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में कमलपुष्प और नीचे वाले हाथ में शंख है। देवी सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त हो जाते हैं।
वीडियो डेस्क। शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी दाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ में गदा और नीचे वाले हाथ में चक्र है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में कमलपुष्प और नीचे वाले हाथ में शंख है। देवी सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त हो जाते हैं।
इस विधि से करें देवी सिद्धिदात्री की पूजा
चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। इसके बाद मां सिद्धदात्री का ध्यान मंत्र के द्वारा आव्हान करें। व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता सिद्धिदात्री सहित समस्त स्थापित देवताओं की पूजा करें। मां की रोली चंदर कुमकुम फल फूल धूप दीप नैवेद्य पान दक्षिणा प्रदक्षिणा आरती और पुष्पांजलि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।