अयोध्या में भगवती जानकी की कुल देवी का मंदिर छोटी देवकाली के रूप में मौजूद है। इस पौराणिक मंदिर में दूर दराज से लोग दर्शन करने आते है। मंदिर के पुजारी अजय द्विवेदी बताते हैं कि मान्यता है भगवान राम से विवाह के बाद माता जानकी महागौरी को अपने साथ लेकर आई और उन्हें अयोध्या के तत्कालीन राज प्रसाद के ईशान कोण पर पूरे वैभव के साथ प्रतिष्ठित किया।
अयोध्या: चैत्र नवरात्र यूं तो भगवान राम के जन्मोत्सव के नाते रामनगरी में बेहद खास होता है, लेकिन देवी साधना के स्वर भी गुंजायमान होते है। अयोध्या में भगवती जानकी की कुल देवी का मंदिर छोटी देवकाली के रूप में मौजूद है। इस पौराणिक मंदिर में दूर दराज से लोग दर्शन करने आते है। मंदिर के पुजारी अजय द्विवेदी बताते हैं कि मान्यता है भगवान राम से विवाह के बाद माता जानकी महागौरी को अपने साथ लेकर आई और उन्हें अयोध्या के तत्कालीन राज प्रसाद के ईशान कोण पर पूरे वैभव के साथ प्रतिष्ठित किया। युगों बाद भी छोटी देवकाली के रूप में माता महागौरी की प्रतिष्ठा प्रवाह मान है। नवरात्रि के दिनों में माता की आराधना करने को स्थानीय के साथ ही आसपास के जिलों से श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है ।
हूण और मुगल शासक द्वारा इस स्थान को किया गया था ध्वस्त
इतिहास में हैं कि हूणों और मुगलों के आक्रमण से देवकाली मंदिर दो बार ध्वस्त हुआ। पहली बार इसका पुनर्निमाण महाराज पुष्यमित्र ने और दूसरी बार मुगलों द्वारा ध्वस्त किये जाने पर बिन्दु सम्प्रदाय के महंत ने इस भव्य मंदिर के स्थान पर एक छोटी सी कोठरी का निर्माण कराया। तब से आज तक इस मंदिर में पूजा पाठ चल रहा है। रूद्रयामल और स्कन्दपुराण में भी श्री देवकाली जी और उनके मंदिर का उल्लेख मिलता है, जिससे इस ऐतिहासिक मंदिर की पौराणिकता प्रमाणित होती है। वही चीनी यात्री ह्वेनसांग व फाहियान ने भी अपने यात्रा में इस मंदिर की प्रतिष्ठा, वैभव और विशेषता का उल्लेख किया है। देवकाली मंदिर में वर्ष भर मां देवकाली की पूजार्चना और परंपरागत उत्सवों का क्रम जारी रहता है। नवरात्र के दौरान तो यहां भक्तों की श्रद्धा उमड़ पड़ती है। पुजारी अजय दिवेदी ने बताया कि यह स्थान माता सीता की कुल देवी का है माता सीता माँ पार्वती का गौरी के रूप में पूजन करती थी। ऐसी मान्यता है की जो भी व्यक्ति सच्चे मन से इस दरबार में कोई प्रार्थना करता है तो उसकी मनोकामना ज़रूर पूरी होती है।