गाय और बछड़े के बीच बैठे यह बच्चे मथुरा स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय अजनोठी के हैं। यह देश के वह भविष्य हैं जो अपनी तकदीर कलम की स्याही से लिखेंगे। शिक्षा विभाग के अधिकारी और नेताओं की यह उदासीनता के भेंट चढ़े हुए हैं। यह तस्वीर साफ बयां कर रही हैं कि शिक्षा का स्तर कितना नीचे गिर चुका है।
मथुरा: सरकार शिक्षा को हाईटेक बनाने की लाख दावे करती हो, लेकिन यहां की तस्वीरें शिक्षा की पोल खोल कर रख रही हैं। यहां गायों और बछड़ों के साथ बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। नींव के पेड़ के नीचे बैठे यह बच्चे उस देश का भविष्य हैं। जिस देश की नींव जिनके कंधों पर रखी है। ऐसे पढ़ेगा इंडिया तो कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया। यह ना जनप्रतिनिधि सुनते हैं और ना शिक्षा विभाग के अधिकारी यहां तो सिर्फ सबको अपने की पड़ी है।
जिस शिक्षा विभाग की नींव खोखली हो उसकी बुनियाद कैसी होगी इसका अंदाजा आप इन तस्वीरों को देख कर लगा सकते हैं। कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के विधानसभा क्षेत्र की यह तस्वीरें आपकी आंखें खोलकर रख देंगी। गाय और बछड़े के बीच बैठे यह बच्चे पूर्व माध्यमिक विद्यालय अजनोठी के हैं। यह देश के वह भविष्य हैं जो अपनी तकदीर कलम की स्याही से लिखेंगे। शिक्षा विभाग के अधिकारी और नेताओं की यह उदासीनता के भेंट चढ़े हुए हैं। यह तस्वीर साफ बयां कर रही हैं कि शिक्षा का स्तर कितना नीचे गिर चुका है। जमीन पर चटाई बिछाकर गाय और वचनों के बीच बैठे यह बच्चे देश का भविष्य तो हैं, लेकिन अगर इसी तरह से यह बच्चे पढ़ेंगे तो देश का भविष्य क्या होगा यह आप खुद ही देख सकते हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि करीब 1 माह हो गया है इसी तरह से हम पढ़ रहे हैं। बच्चों का कहना है कि जिस स्कूल में हम पढ़ते हैं, उस स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। गाय और बछड़े और नीम का पेड़ अब हमारे स्कूल का एक हिस्सा है। मजबूरी में हम लोग यहां पढ़ रहे हैं। पढ़ेंगे नहीं तो हम लोग कैसे आगे बढ़ेंगे।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय अजनोठी के प्रधानाध्यापक योगेंद्र पाल सिंह ने बताया कि नामांकित स्कूल में 37 बच्चे हैं। 2005 में स्कूल का निर्माण हुआ था तब से लेकर आज तक यहां का कोई मेंटेनेंस बिल्डिंग के ऊपर नहीं कराया गया है। उन्होंने बताया कि 25 जून को हमने रामदत्त पंडित जी के यहां बच्चों को लाकर शिफ्ट कर दिया। नीम के पेड़ के नीचे बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। प्रधानाध्यापक का यह भी कहना है कि अधिकारियों को कई बार अवगत कराने के बाद भी कोई अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है। नीम के पेड़ के नीचे 6, 7, 8 कक्षाएं चलती है। गाय भैंस और कृषि यंत्रों के बीच बच्चे क्लास ले रहे हैं। बच्चों को पढ़ाने में बड़ा मुश्किल हो रही है ।