राष्ट्रपति ने शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम में दो पुस्तकों का विमोचन किया। इसमें 300 रंगीन चित्रों के साथ आर्ट पेपर पर प्रकाशित ‘श्रीरामचरितमानस’ और गीता प्रेस के संस्थापक जयदयाल गोयंदका की लिखी ‘गीता तत्वविवेचनी’ के संस्करण शामिल है।
गोरखपुर: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर में पूजा की। इसके बाद मंदिर परिसर में भी घूमे। इसके बाद रामगढ़ ताल में लाइट एंड साउंड शो भी गए। बता दें कि इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ ने पत्नी सविता कोविंद के साथ लीलाचित्र मंदिर के दर्शन किए। फिर गीता प्रेस पहुंचे।
मंच पर पहुंचकर कर राष्ट्रपति ने कहा,' गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष में हिस्सा लेने के बाद मुझे महसूस हो रहा है कि पिछले जन्म में मैंने कुछ अच्छे कर्म किए थे जो इस कार्यक्रम का मैं हिस्सा बना हूं। गीता प्रेस के कर्मचारियों की मेहनत की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है' उन्होंने कहा कि गीता लीलाचित्र देख मुझे लगा कि यह कल्पना किसी चित्रकार की नहीं हो सकती, यह कल्पना किसी दैवीय शक्ति की ही हो सकती है।
पुस्तक का किया विमोचन
राष्ट्रपति ने शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम में दो पुस्तकों का विमोचन किया। इसमें 300 रंगीन चित्रों के साथ आर्ट पेपर पर प्रकाशित ‘श्रीरामचरितमानस’ और गीता प्रेस के संस्थापक जयदयाल गोयंदका की लिखी ‘गीता तत्वविवेचनी’ के संस्करण शामिल है।
अद्भुत चित्र इंसान नहीं बना सकता
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसा अद्भुत चित्र इंसान नहीं बना सकता। अगर इंसान इसे बनाया है तो इंसान के रुप में भगवान की कृपा उस पर जरूर होगी। जिस तरह रामायण काल में कोई भी सफल काम बिना हनुमान जी की कृपा से नहीं होता था, ठीक उसी तरह मेरा मानना है कि गीता प्रेस को आज इस मुकाम पर ले जाने में हनुमान जी की ही कृपा है।