कई बार कुछ मामलों में लापरवाही बरतना बहुत महंगा पड़ा जाता है। कुछ लापरवाहियां ऐसी होती हैं कि जान जाने की नौबत तक आ जाती है।
हटके डेस्क। कई बार कुछ मामलों में लापरवाही बरतना बहुत महंगा पड़ जाता है। कुछ लापरवाहियां तो ऐसी होती हैं कि जान जाने की नौबत तक आ जाती है। चीन के नानिंग शहर में एक बुजुर्ग शख्स ने कुकिंग के दौरान कुछ ऐसी ही लापरवाही बरती कि तीन लोगों की जान जाते-जाते बची। ऐसा खाना बनाने के दौरान एयरकंडीशनर चालू रखने के चलते हुआ। कुकिंग के दौरान एयरकंडीशनर चालू रहने के कारण चारों तरफ कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस फैल गई और इससे घर में मौजूद लोगों का दम घुटने लगा। इसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया। खबरों के मुताबिक, यह घटना अक्टूबर के पहले हफ्ते की है।
बिना एसी बंद किए शुरू कर दिया खाना बनाना
लियांग नाम के बुजुर्ग का मन अचानक कुछ बनाने का हुआ और वे किचन में चले गए। वहां उन्होंने कुकिंग शुरू कर दी, लेकिन एयरकंडीशनर ऑफ करना भूल गए। इस दौरान उनकी बहन और पोता लिविंग रूम में बैठे थे। लियांग एक घंटे से किचन में ही काम में लगे थे। इस दौरान उनकी बहन और पोते को कुछ घुटन-सी महसूस होने लगी। उन्हें लगा कि कहीं कुछ न कुछ गड़बड़ है। वे किचन में गए। लियांग ने उनसे कहा कि वे भी अजीब महसूस कर रहे हैं। वहां उन्हें ज्यादा ही घुटन महसूस होने लगी। उन पर बेहोशी-सी छाने लगी। वे कुछ बोल भी नहीं पा रहे थे।
अस्पताल में किया गया एडमिट
इसी बीच, उनका एक पड़ोसी किसी काम से उनके घर में आया। उसने जब तीनों को इस हाल में देखा तो तुरंत उन्हें अस्पताल लेकर गया। वहां डॉक्टर ने कहा कि वे कॉर्बन मोनो ऑक्साइड पॉइजनिंग के शिकार हो गए हैं। उनका इलाज शुरू हुआ। डॉक्टर ने बताया कि कॉर्बन मोनो ऑक्साइड पॉइजनिंग के असर का स्तर तीनों पर अलग-अलग है। इसका सबसे ज्यादा गंभीर असर लियांग पर हुआ, जो खाना बना रहे थे।
लियांग कोमा में चले गए
लियांग पर इस पॉइजनिंग का असर इतना ज्यादा हुआ कि वे कोमा में चले गए। लेकिन डॉक्टरों ने लगातार दो घंटे तक इमरजेंसी ट्रीटमेंट दे कर उनकी जान बचा ली। डॉक्टरों ने कहा कि कुकिंग के दौरान लियांग ने किचन की विंडो और दरवाजे खोले नहीं, जिससे कॉर्बन मोनो ऑक्साइड गैस बाहर नहीं निकल सकी। डॉक्टरों का कहना था कि ऐसे मामले में अगर जल्दी ट्रीटमेंट न हो तो जान भी जा सकती है। इससे ब्रेन डैमेज होने लगता है और मेमोरी लॉस होने के साथ बोलने में भी दिक्कत होने लगती है। कई बार तो ऐसा कॉर्बन मोनो ऑक्साइड पॉइजनिंग के दो महीने बाद भी हो सकता है। अगर कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस बंद कमरे में फैल जाए तो दम घुटने से मौत हो जाती है।