नोट पर गांधीजी की ही फोटो क्यों?

भारतीय करेंसी नोटों और सिक्कों पर गांधीजी की तस्वीर होती है। पहले नोटों और सिक्कों पर अशोक स्तंभ की तस्वीर होती थी। 
 

नई दिल्ली। भारतीय करेंसी नोटों और सिक्कों पर पहले अशोक स्तंभ की तस्वीर होती थी, लेकिन साल 1996 में भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटों पर अशोक स्तंभ की जगह गांधीजी की तस्वीर छापनी शुरू कर दी। इसके साथ ही सिक्कों पर भी गांधीजी की तस्वीर ही इन्सक्राइब की जाने लगी। साल 1996 से 2001 तक भारतीय रिजर्व बैंक ने अलग-अलग राशि के नोटों की सीरीज जारी की, जिन पर गांधीजी की तस्वीर छपी थी। ऐसा किए जाने के पीछे क्या वजह थी, इसके बारे में कम लोगों को ही पता है। आज 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस के मौके पर जानते हैं ऐसा क्यों किया गया।

बहस की हुई शुरुआत
एक क्वोरा यूजर ने कुछ साल पहले यह सवाल उठाया था कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक से बढ़ कर एक नेताओं ने हिस्सा लिया था। कई क्रांतिकारियों ने भी आजादी के संघर्ष में अपनी कुर्बानी दी थी, फिर क्या वजह है कि करेंसी नोटों और सिक्कों पर गांधीजी की ही तस्वीर लगाई गई। इसे लेकर बहस चल पड़ी।  2012-13 के दौरान इस बात को लेकर भी बहस चली थी कि भारतीय करेंसी नोटों पर क्या भगत सिंह की तस्वीर नहीं होनी चाहिए।

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गांधीजी की लोकप्रियता सबसे ज्यादा
बहस से यह बात उभर कर सामने आई कि भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान जितने भी नेता हुए, उनमें गांधीजी सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुए। पूरी दुनिया ने उन्हें एक महान नेता के रूप में मान्यता दी है। उन्हें महज एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि दार्शनिक और मानव-मुक्ति का पथ प्रशस्त करने वाला माना गया है। आज दुनिया भर के जितने नेता भारत आते हैं, वे दिल्ली में राजघाट स्थित उनकी समाधि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने जरूर जाते हैं।

क्या कहा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने
इस मुद्दे पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि पहले जो करेंसी प्रचलित थी, उनकी तरह नकली नोट बनाना ज्यादा आसान था, क्योंकि उसमें किसी वस्तु का चित्र था, जबकि गांधीजी के चित्र वाली करेंसी की जगह नकली करेंसी आसानी से नहीं बनाई जा सकती।

क्या कहा था वित्त मंत्री अरुण जेटली ने
साल 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा था कि यह फैसला रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का है कि नोटों पर महात्मा गांधी की ही तस्वीर होगी, क्योंकि भारतीय विचारधारा और संस्कृति के सबसे बड़े प्रतिनिधि गांधीजी ही हैं।

महात्मा गांधी राष्ट्रपिता हैं
यह भी कहा गया कि करेंसी नोटों पर दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों को जगह इसलिए नहीं दी गई, क्योंकि इससे अलग-अलग क्षेत्रों में विवाद पैदा हो सकता था। महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा हासिल है, इसलिए उनके नाम पर कोई विवाद नहीं हो सकता। 

कैसे गांधीजी की फोटो का चुनाव हुआ
बता दें कि भारतीय करेंसी पर गांधीजी की जो तस्वीर छपी है, वह कोई कैरिकेचर नहीं है, बल्कि उनकी वास्तविक तस्वीर है। गांधीजी की मुस्कुराती हुई यह तस्वीर तब खींची गई थी, जब इंग्लैंड के राजनीतिज्ञ लॉर्ड फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस भारत आए थे। यह तस्वीर वॉइसराय हाउस (राष्ट्रपति भवन) में खींची गई थी। 

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