पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इनमें से 4 चरणों की वोटिंग हो चुकी है। अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी यहां प्रचार करने पहुंचे। बुधवार को वे उत्तर दिनाजपुर जिले के गोलपोखर और सिलीगुड़ी जिले के माटीगारा-नक्सलबाड़ी सीट पर प्रचार करने आए। पांचवें चरण में 45 सीटों पर 17 अप्रैल को, छठे चरण में 43 सीटों पर 22 अप्रैल को, सातवें चरण में 36 सीटों पर 26 अप्रैल को और आठवें चरण में 35 सीटों पर 29 अप्रैल को वोटिंग होगी।
कोलकाता, पश्चिम बंगाल. कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहली बार पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में प्रचार करने पहुंचे। पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इनमें से 4 चरणों की वोटिंग हो चुकी है। अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी यहां प्रचार करने आए हैं। बुधवार को वे उत्तर दिनाजपुर जिले के गोलपोखर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी नसीम अहसान और सिलीगुड़ी जिले के माटीगारा-नक्सलबाड़ी सीट से शंकर मालाकार के समर्थन में प्रचार करने पहुंचे। यह कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है। मालाकार पिछले 10 साल से यहां से विधायक हैं। बता दें कि यहां पांचवें चरण में 45 सीटों पर 17 अप्रैल को, छठे चरण में 43 सीटों पर 22 अप्रैल को, सातवें चरण में 36 सीटों पर 26 अप्रैल को और आठवें चरण में 35 सीटों पर 29 अप्रैल को वोटिंग होगी। रिजल्ट 2 मई का आएगा।
राहुल ने कहा
यह है वजह
पश्चिम बंगाल में अब पांचवें चरण से चुनाव होने हैं, वहां कांग्रेस की स्थिति ठीकठाक है। वहीं, यह भी माना गया कि राहुल गांधी नहीं चाहते थे कि उनके प्रचार से ममता बनर्जी कमजोर हों और भाजपा को ताकत मिले। क्यों सपा, आरजेडी, जेएमएम(झारखंड मुक्ति मोर्चा), एनसीपी और शिवसेना जैसे दल ममता बनर्जी का समर्थन कर चुके हैं। वहीं, ये सभी दल भाजपा के खिलाफ एकजुट हैं। सपा नेता जया बच्चन और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव तो तृणमूल कांग्रेस का प्रचार तक कर चुके हैं।
इसके अलावा राहुल गांधी यह भी नहीं चाहते थे कि वे लेफ्ट को लेकर दुविधा में फंसें। कांग्रेस केरल में लेफ्ट के खिलाफ है, जबकि पश्चिम बंगाल में वो संयुक्त मोर्चा(इसमें लेफ्ट भी शामिल है) के साथ है।
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस 92 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस को यहां 2016 में 44 सीटें मिली थीं। ज्यादातर सीटें उत्तर बंगाल से थीं। इनमें मुर्शिदाबाद, मालदा, दिनाजपुर जैसे इलाके हैं। यानी यहां की सीटें बचाए रखना कांग्रेस के लिए चुनौती है। राहुल गांधी इन्हीं सीटों पर अधिक फोकस कर रहे हैं।