NASA का सबसे बड़ा मून मिशन 'आर्टेमिस-1' तीसरी कोशिश में हुआ लॉन्च, पढ़िए पूरी डिटेल्स

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा(NASA) का महत्वाकांक्षी मून मिशन आर्टेमिस-1 आज (16 नवंबर) को तीसरे प्रयास में लॉन्च कर दिया गया। नासा ने मिशन मून के लिए अपने आर्टेमिस-1 राकेट को पिछले डेढ़ महीने बाद एक बार फिर से लॉन्च करने की तैयारी की थी। 

Amitabh Budholiya | Published : Nov 16, 2022 7:04 AM IST / Updated: Nov 16 2022, 12:55 PM IST

वर्ल्ड न्यूज. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा(National Aeronautics and Space Administration-NASA) का महत्वाकांक्षी मून मिशन आर्टेमिस-1 (Artemis Moon Mission) 16 नवंबर को तीसरी कोशिश में लॉन्च कर दिया गया। नासा ने मिशन मून के लिए अपने आर्टेमिस-1 राकेट को पिछले डेढ़ महीने बाद एक बार फिर से लॉन्च करने की तैयारी की थी। इस राकेट की लॉन्चिंग टाइमिंग भारतीय समयानुसार 11.34 से दोपहर 1.34 बजे तक रखी गई थी। रॉकेट ने फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से भारतीय समय के अनुसार 12.17 बजे उड़ान भरी। इससे पहले तकनीकी खामियों की वजह से 2 बार राकेट की लॉन्चिंग को टालना पड़ा था। पढ़िए पूरी डिटेल्स...


इससे पहले 29 अगस्त और 3 सितंबर को इसे लॉन्च किया जाना था। लेकिन मौसम की खराबी और तकनीकी खामियों की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाया था। पिछले दिनों फ्लोरिडा में आए तूफान 'निकोल' के कारण मिशन को नुकसान हुआ था। बताया जाता है कि तब स्पेसक्राफ्ट का एक पार्ट ढीला होकर गिर गया था। जबकि रॉकेट से हाइड्रोजन भी लीक होने की समस्या आई थी। कहा जा रहा था कि अगर अब भी कोई समस्या आती, तो लॉन्चिंग तारीख 19 या 25 नवंबर तय की जा सकती थी।


नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) का मानव रहित आर्टेमिस I(Artemis-1) मिशन पहले एक्सप्लोरेशन मिशन-1 के नाम से जाना जाता था। आर्टेमिस मिशन को चांद को समझने की दिशा में नेक्स्ट जेनेरेशन के रूप में जाना जाता है। इसका नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं से अपोलो की जुड़वां बहन के नाम पर लिया गया है। आर्टेमिस को चंद्रमा की देवी भी माना जाता है। यह एक बेहद जटिल मिशन है, जो चंद्रमा तथा मंगल पर रिसर्च के दरवाजे खोलेगा। NASA रोबोट और अंतरिक्ष यात्रियों(astronauts) की रिसर्च में हेल्प करने के लिए चांद-मंगल की सतह पर आर्टेमिस बेस कैंप और चंद्रमा की कक्षा में एक गेटवे (चंद्रमा के चारों ओर दूरवर्ती स्थान) स्थापित करेगा। आर्टेमिस चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम (Artemis Lunar Exploration Program) के जरिये NASA वर्ष 2024 तक पहली महिला और पहले पुरुष को चंद्रमा पर भेजने की योजना पर काम कर रहा है। यह इस मिशन की सफलता पर निर्भर है।


नासा द्वारा शेयर की गई जानकारी के अनुसार, Artemis-1 Mission के तहत बेशक कोई एस्ट्रोनॉट चांद पर नहीं भेजा जाएगा, लेकिन अंतरिक्ष यान खाली नहीं होगा। इसमें मानव पुतलों को एस्ट्रोरेड रेडिएशन जैकेट पहनाकर भेजा जाएगा। इस मिशन के जरिये भविष्य में पर्यावरण को समझने और चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी। क्योंकि चांद भी इसी तरह के पर्यावरण का सामना करता है। डमी को एस्ट्रोरेड रेडिएशन  जैकेट पहनाने का मकसद यह जानना है कि वहां रेडिएशन से क्या खतरा हो सकता है? बता दें कि स्पेस रेडिएशन से ह्यूमन बॉडी को बड़ा खतरा हो सकता है। रेडिएशन के संपर्क में आने से कई घातक बीमारियों के अलावा कैंसर भी हो सकता है।

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