सार

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के अन्य नेताओं के साथ बुधवार(16 नवंबर) को यहां जी-20 शिखर सम्मेलन(G-20 Summit) से इतर बाली के तहुरा स्थित सबसे बड़े मैंग्रोव वन(largest mangrove forest) तमन हुतन राय नगुराह राय(t Taman Hutan Raya Ngurah Rai) की विजिट की और वहां मैंग्रोव के पौधे रोपे। मोदी जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बाली में हैं, जो 15 नवंबर से यहां शुरू हुआ।

बाली(Bali). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के अन्य नेताओं के साथ बुधवार(16 नवंबर) को यहां जी-20 शिखर सम्मेलन(G-20 Summit) से इतर बाली के तहुरा स्थित सबसे बड़े मैंग्रोव वन(largest mangrove forest) तमन हुतन राय नगुराह राय(Taman Hutan Raya Ngurah Rai) की विजिट की और वहां मैंग्रोव के पौधे रोपे। मोदी जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बाली में हैं, जो 15 नवंबर से यहां शुरू हुआ। शिखर सम्मेलन के औपचारिक उद्घाटन से पहले इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने शिखर सम्मेलन स्थल पर मोदी का स्वागत किया था।

बता दें कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित दुनिया भर के नेता, 17वें समूह 20 (जी20) शिखर सम्मेलन(G20) Summit) के लिए इंडोनेशिया में एकत्रित हुए हैं। समिट बाली शहर में हो रही है। G20 शिखर सम्मेलन 15-16 नवंबर दो दिन चलेगा। पढ़िए पूरी डिटेल्स...

क्यों महत्वपूर्ण हैं मैंग्रोव फॉरेस्ट?
मोदी ने शिखर सम्मेलन से इतर मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और कई अन्य वैश्विक नेताओं के साथ अनौपचारिक बातचीत की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य जी20 नेताओं ने बाली में मैंग्रोव वन का दौरा किया और जलवायु परिवर्तन से निपटने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आने का मजबूत संदेश दिया। भारत भी मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट में शामिल हो गया है।" वहीं, मोदी ने ट्वीट किया, "बाली में मैंग्रोव वन में जी-20 नेताओं के साथ।"

मैंग्रोव वैश्विक संरक्षण प्रयासों(global conservation efforts) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत इंडोनेशियाई जी-20 प्रेसीडेंसी के तहत इंडोनेशिया और यूएई की संयुक्त पहल मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट (एमएसी) में शामिल हो गया है। भारत में 50 से अधिक मैंग्रोव प्रजातियां 5,000 वर्ग किमी में फैली हुई पाई जाती हैं। भारत मैंग्रोव के संरक्षण और बहाली पर जोर दे रहा है, जो जैव विविधता( biodiversity) के समृद्ध स्थल हैं और प्रभावी कार्बन सिंक के रूप में काम करते हैं। यानी वायु को शुद्ध रखते हैं।

बता दें कि मैंग्रोव दुनिया के सभी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों( tropical and subtropical areas) में पाए जाते हैं। इंडोनेशिया सबसे अधिक मैंग्रोव वाला देश है। ब्राजील, मलेशिया, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया में भी मैंग्रोव वन हैं। मैंग्रोव एक विशेष प्रकार की वनस्पति हैं। वे अंतर्ज्वारीय क्षेत्रों(intertidal regions) में पाए जाते हैं, जहां मीठे पानी और खारे पानी का मिलन होता है। जैसे-खाड़ी, मुहाने और लैगून में। वे नमक-सहिष्णु किस्म के पौधे हैं, जो कठोर परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं। ये आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।

जानिए मोदी के बगल में जाकर क्यों खड़े हुए बाइडेन?
मैंग्रोव पौधारोपण में मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों सहित विश्व के अन्य नेता भी शामिल हुए। सभी नेता हल्के रंग के कपड़े पहनकर एक अनाउंसर के रूप में पौधों के पास इकट्ठे हुए। यह इस बात का प्रतीक था कि गर्म जलवायु(warming climate) का मुकाबला करने के लिए सभी प्रतिबद्ध हैं। पौधा रोपने के लिए प्रत्येक नेता को एक बेबी मैंग्रोव तक ले जाया गया। नेताओं ने मैंग्रोव की विभिन्न प्रजातियों के बारे में सुना था कि वे कितने समय तक जीवित रह सकते (100 वर्ष तक) हैं। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन मोदी के बगल में जाकर खड़े हो गए] क्योंकि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो मोदी को मैंग्रोव फॉरेस्ट की खूबियां बता रहे थे। जैसे-इस जंगल में मैंग्रोव की 150 प्रजातियां हैं। नेताओं ने अपना दौरा समाप्त करने से पहले एक ग्रीनहाउस के माध्यम से वॉक की और मैंग्रोव प्लांटर्स के लिए तालियां बजाईं।

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