
Clashes in Syria: सीरिया के तटीय क्षेत्र में दो दिनों तक चली हिंसक झड़पों में मरने वालों की संख्या अब 1000 से ज्यादा हो गई है। इसमें लगभग 750 आम नागरिक शामिल हैं। ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फ़ॉर ह्यूमन राइट्स ने शनिवार को रिपोर्ट किया कि यह हिंसा ये हिंसा 14 साल पहले सीरिया युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक की सबसे घातक घटनाओं में से एक है।
इस झड़प में सुरक्षा बलों, अपदस्थ राष्ट्रपति बशर असद के वफादार सशस्त्र समूहों और प्रतिशोधात्मक हमलों का सामना करना पड़ा। ऑब्जर्वेटरी ने बताया कि मृतकों में 745 आम नागरिक, 125 सरकारी सुरक्षा कर्मी, और 148 बशर असद के पक्षधर उग्रवादी शामिल हैं। इस अशांति के कारण तटीय शहर लताकिया के आसपास के बड़े क्षेत्रों में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है और साथ ही कई बेकरियां भी बंद हो गई है
सीरिया मिडिल ईस्ट का एक अशांत देश है दशकों से संघर्षों से घिरा हुआ था। लेकिन 2024 के अंत में वहां जो बदलाव आए जिसने एक नए दौर की शुरुआत की। बशर अल असद जो लंबे समय से देश के राष्ट्रपति थे। 2023 में आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार और नागरिक स्वतंत्रता के दमन की खबरों ने विद्रोह की लहर को तेज कर दिया।
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असद की सरकार ने वर्षों तक रूस और ईरान के समर्थन से सत्ता बनाए रखी थी जबकि विद्रोही गुटों और इस्लामिक स्टेट (ISIS) जैसी ताकतों ने अलग-अलग क्षेत्रों पर कब्जा किया था। लेकिन 2024 में सत्ता का संतुलन बदलने लगा। विद्रोही गठबंधन और असद विरोधी समूहों ने उत्तरी और मध्य सीरिया में बड़े पैमाने पर हमले किए। असद की सरकार पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का प्रभाव पड़ा और इससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई, जिससे उनकी सेना भी कमजोर पड़ी।
अक्टूबर 2024 में राजधानी दमिश्क में भारी लड़ाई के बाद, असद को अपना देश छोड़कर रूस भागना पड़ा। इसके बाद, एक अस्थायी सरकार का गठन हुआ और मोहम्मद अल-बशीर को अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। बशीर, जो पहले विपक्षी नेता और सैन्य कमांडर रहे थे, जनवरी 2025 में चुनावों में जीतकर वह आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति बने। इसके बाद से सीरिया में सुरक्षाबलों और असद समर्थकों के बीच संघर्ष जारी है। मोहम्मद अल-बशीर को कई गुटों और असद समर्थकों से हिंसा और विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण देश में शांति स्थापित करना कठिन हो गया है।
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