बाइबिल के साथ पकड़े जाने पर लोगों के साथ उत्तर कोरिया में काफी बुरा व्यवहार होता है। उन्हें कड़ी सजा दी जाती है। इस सजा को लेकर सामने आई रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
नई दिल्ली: उत्तर कोरिया में बाइबिल के साथ पकड़े गए ईसाइयों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ता है। अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से एक रिपोर्ट में पाया गया कि कई लोगों को मौत की सजा का सामने भी करना पड़ रहा है। वहीं कुछ बच्चों को भी उनके परिवार के साथ में आजीवन कारावास की सजा दी जाती है।
कैद में रहने को मजबूर है काफी संख्या में लोग
2022 को लेकर विदेश विभाग की एक अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट से अनुमान लगाया गया कि उत्तर कोरिया में लगभग 70 हजार से भी अधिक ईसाई अन्य धर्मों के लोगों के साथ कैद में हैं। दावा है कि इन लोगों में एक दो साल का बच्चा भी शामिल है। उसके माता-पिता के पास बाइबिल पाया गया और इसके बाद कथिततौर पर उस बच्चे को उम्रकैद की सजा दी गई। इस पूरे परिवार को ही बाइबिल रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दो साल के बच्चे समेत इस पूरे परिवार को 2009 में राजनीतिक जेल शिविर में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। कहा जाता है कि इन शिविरों में कैद ईसाइयों के साथ में शारीरिक दुर्व्यवहार भी किया जाता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य सुरक्षा मंत्रालय ही शैमैनिक अनुयायियों और ईसाईयों के खिलाफ 90 फीसदी मानवाधिकार हनन के लिए जिम्मेदार था।
हिरासत में लोगों के साथ जमकर होता है दुर्व्यवहार
उत्तर कोरिया में एक गैर लाभकारी संगठन ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राज्य विभाग का कहना है कि उत्तर कोरियाई सरकार के द्वारा उन लोगों को सताया जाता है जो कि धार्मिक प्रथाओं में लगे हुए हैं और धार्मिक वस्तुओं को अपने पास में रखते हैं। इसी के साथ उन लोगों को भी परेशान किया जाता है जो धार्मिक विश्वासों को साझा करते हैं या फिर धार्मिक लोगों को संपर्क में हैं। इन लोगों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है। हिरासत में लेकर इन लोगों को काम करने के लिए मजबूर भी किया जाता है और प्रताड़ित किया जाता है। यहां तक इन्हें निष्पक्ष सुनवाई से वंचित रखा जाता है और निर्वासित भी किया जा सकता है। इन्हें जीवन के अधिकार से वंचित किया जा सकता है और यौन हिंसा के अधीन भी किया जा सकता है।