नेशनल न्यूज। आज चार अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस वॉक का मौका मिलने वाला है। एलन मस्क की स्पेस एक्स कंपनी चार एस्ट्रोनॉट को स्पेस की सैर पर भेज रही है। स्पेस वॉक का 5 दिन का यह मिशन आज शाम 4 बजे लॉन्च किया जाएगा। 50 सालों में पहली पर कोई अंतरिक्ष यात्री स्पेस वॉक पर जा रहा है। अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट का खाना-पीना से लेकर दैनिक क्रिया तक के अलग तरीके हैं। अंतरिक्ष में वातावरण भी सामान्य नहीं होता है इसलिए एस्ट्रोनॉट को इसके लिए पूरी ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। आईए जानते हैं अंतरिक्ष में कैसा रहता है मौसम और किस तरह से दिन गुजारते हैं एस्ट्रोनॉट…
अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बना स्पेशल सूट
इस स्पेस वॉक मिशन को Falcon-9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के लिए स्पेसएक्स कंपनी की ओर से अंतरिक्ष यात्रियों के लिए स्पेशल सूट भी बनाया है। इसी पहनकर अंतरिक्ष यात्री स्पेस में अपना पांच दिन का सफर पूरा करेंगे।
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अंतरिक्ष में ऐसे होता है दिन रात
स्पेस स्टेशन पर दिन रात का भी अद्भुत समय होता है। यहां 45 मिनट उजाला रहता है तो 45 मिनट अंधेरा रहता है । यहां पर 24 घंटे में दिन और रात मापी जाती है। इसके साथ ही अंतरिक्ष का वास्तविक तापमान 0 डिग्री से लेकर हजारों डिग्री सेल्सियस तक होता है। यहां पर हवा या पानी बिल्कुल नहीं होती है इसलिए यहां बारिश भी नहीं होती है।
अंतरिक्ष यात्रियों का खाना-पीना कैसा
अंतरिक्ष यात्रियों का रहन सहन और खानपान भी सामान्य नहीं होता है। स्पेस में उन्हें फ्रीज ड्राई मैटीरियल खाने रहते हैं। इसे खास तकनीक से पकाया जाता है और जमा दिया जाता है। इस तरह बनाए भोजन को फ्रिज में रखने की जरूरत नहीं पड़ती है। एस्ट्रोनॉट दिनभर में तीन टाइम खाना खाते हैं ताकि रोजाना कम से कम 2500 कैलोरी मिल सके।
एस्ट्रोनॉट्स के लिए खास टॉयलेट
स्पेस स्टेशन में एस्ट्रोनॉट्स के लिए काफी खास तरीके का टॉयलेट बनाया गया है। यह खास वैक्यूम वाला टॉयलेट होता है। यह शरीर से निकलने वाले मल को हवा के जरिए एक टैंक में वैक्यूम फोर्स की मदद से ले जाता है।
रिसाइकिल कर पीते हैं पानी
अंतरिक्ष यात्री पानी रिसाइकिल कर पीते हैं। इस सिस्टम को ECLSS कहा जाता है। यह इस्तेमाल हो चुके पानी को एक चेंबर में भेजकर केमिकल के जरिए इसे साफ कर फिर पीने लायक बनाता है।
जानें स्पेस स्टेशन में कैसे सोते हैं ?
अंतरिक्ष यात्री स्लीपिंग बैग्स में सोते हैं जो स्टेशन की दीवार से बंधे होते हैं। हर अंतरिक्ष यात्री का एक निजी स्लीपिंग क्वार्टर होता है जिसमें स्लीपिंग बैग, वेंटिलेशन सिस्टम और उसकी पर्सनल चीजें होती हैं। व्यक्तिगत आइटम रखने की जगह होती है।
स्पेस यात्रा का खर्च
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा का खर्च भी काफी अधिक होता है। 20 से 25 मिलियन डॉलर जो कि भारतीय रुपये के मुताबिक लगभग 160 से 210 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है।