IAU Honored Indian Astronomor: भारतीय खगोलशास्त्री अश्विन शेखर के नाम से जाना जाएगा ये छोटा ग्रह, जाने क्या है खास

IAU की ओर से भारतीय खगोलशास्त्री अश्विन शेखर के नाम पर एक छोटे ग्रह का नाम रखा जा रहा है। इससे पहले 5 भारतीय खगोल शास्त्रियों को यह सम्मान मिल चुका है।

 

वर्ल्ड न्यूज। भारत के एक और खगोलशास्त्री ने देश का नाम रोशन किया है। इंटरनेशनल एरोनॉटिकल यूनियन की ओर से भारतीय खगोलशास्त्री के नाम पर एक छोटे ग्रह का नामकरण किया गया है। इसस पहले भारत के पांच खगोल शास्त्रियों को इस प्रकार के सम्मान से नवाजा जा चुका है। 

ग्रहों के नामकरण का उद्देश्य
ग्रहों को इनफॉर्मल नेम देकर खगोलशास्त्रियों को उनके बेहतर कार्यों के लिए सम्मानित करने के उद्देश्य से ऐसा किया जाता है। भारतीय खगोल शास्त्री अश्विन शेखर को इसी लिए सम्मानित किया गया है। अश्विन के नाम पर रखे गए इस छोटे ग्रह को अब (33928) अश्विन शेखर = 2000 एलजे-27 के नाम से जाना जाएगा।

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Ashwin Shekhar the Astronomer :आधुनिक भारत के पहले एस्ट्रोनॉमर हैं अश्विन 
आईएयू के मुताबिक अश्विन आधुनिक भारत के पहले एस्ट्रोनॉमर हैं जिन्हें इस सम्मान से नवाजा गया है। भारतीय खगोलशास्त्री अश्विन शेखर के नाम पर आईएयू ने एक छोटे ग्रह का नाम रखा है। 21 जून 2023 को को ही अश्विन शोखर को यह सम्मान एरिजोना में आयोजित क्षुदग्रह धूमकेतु उल्का सम्मेलन के 2023 एडीशन में दिया गया था। अश्विन परिस वेधशाला से भी जुड़े हुए हैं। 

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international astronomical union: अश्विन ने उल्कापिंड रिसर्च पर किया काम
आईएयू ने कहा कि अश्विन ने उल्कापिंड अध्ययन क्षेत्र में काफी रिसर्च कर अहम भूमिका निभाई है। क्षुदग्रहों को छोटे ग्रह भी कहा जाता है। खगोलीय पिंड लगभग 4.6 अरब साल पहले हमारे सौरमंडल में मौजूद आठ मुख्य ग्रहों से छोटे हैं लेकिन उल्कापिंड से बड़े हैं।

Ashwin Shekhar named minor planet after: ऐसे होता है ग्रहों का नामकरण
छोटे ग्रहों के नामकरण इनफॉरमल और फॉर्मल दो प्रकार से होते हैं। फॉर्मल नामकरण मशहूर हस्तियों को मानद डॉक्टरेट उपाधि देने का समान है। इसमें खगोलशास्त्री जिस उल्का पिंड की खोज करता है, वह अपने पसंद का नाम आईएयू को प्रस्तावित कर सकता है। खगोलशास्त्री को यह सम्मान मिलना है या नही यह आईएयू डिसाइड करता है।

इन पांच भारतीयों को मिल चुका है सम्मान
नोबेल पुरस्कार विजेता सुब्रमण्यम चंद्रशेखर और सीवी रमन के साथ-साथ श्रीनिवास रामानुजन, विक्रम साराभाई और मनाली कल्लाट वेणु बप्पू को खगोलविदों से मान्यता मिली है।

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