
काबुल.Taliban सरकार अफगानिस्तान में आने वाली सर्दी(winter) को लेकर चिंतित है। 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान की सरकार को पाकिस्तान और चीन की हामी भरने के बावजूद दुनियाभर ने मान्यता नहीं दी है। ऐसे में उसके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। अफगानिस्तान की सर्दी हमेशा से लोगों के लिए परेशानीभरी होती है। ऐसे में तालिबान ने दुनियाभर से मानवीय मदद मांगी है।
दोहा में कई देशों के प्रतिनिधियों से की तालिबान लीडर ने मुलाकात
गुरुवार को अरब देश कतर की राजधानी दोहा( Doha) में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कई देशों के एम्बेसडर और प्रतिनिधियों (ambassadors and representatives) के साथ बैठक की। सुहैल ने tweet करके लिखा-आज मैंने दोहा में यूरोपीय संघ, नॉर्वे, स्वीडन, नीदरलैंड, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, कनाडा, यूके और USA सहित विभिन्न देशों के राजदूतों और प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। IEA(Islamic Emirate of Afghanistan) प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मावलवी मतीउल हक शामिल थे। हमें आने वाली सर्दी को देखते हुए देश में मानवीय सहायता की सख्त जरूरत है।
अधूरे प्रोजेक्ट फिर से शुरू करने पर जोर
तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि आपसी हितों और सकारात्मक बातचीत के जरिए मुद्दों का हल निकाला जाना चाहिए। हम फिर से अधूरी निर्माण परियोजनाओं को शुरू करना चाहते हैं। रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक ने बताया कि तालिबान प्रवक्ता ने स्वीकार किया कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात (आईईए) को सर्दियों की शुरुआत से पहले मानवीय सहायता की तत्काल आवश्यकता है। जबकि शाहीन ने कहा कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ जुड़ने को तैयार है, दुनिया अभी भी अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता देने से दूर है।
गुरुद्वारे में तोड़फोड़ पर भारत ने विरोध दर्ज कराया
इस बीच भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार काबुल के गुरुद्वारे में तालिबान की तोड़फोड़ पर विरोध दर्ज कराया है। बता दें कि मंगलवार(5 अक्टूबर ) को तालिबान ने काबुल के प्रसिद्ध कर्ते परवान गुरुद्वारे में गदर मचाया था। इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि काबुल में एक गुरुद्वारे की तोड़फोड़ न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए चिंता का विषय है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
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