ये रिश्ता क्या कहलाता है? ​जब मिल बैठेंगे 3 शातिर यार-चीन, पाकिस्तान व तालिबान, पैसा और ट्रेनिंग दोनों देंगे

Taliban से पाकिस्तान और चीन का बढ़ता 'याराना' दुनिया में शांति ढूंढ़ रहे देशों के लिए खतरे की घंटी है। खासकर; भारत के लिए यह अधिक चिंता का विषय है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 3, 2021 3:33 AM IST / Updated: Sep 03 2021, 09:11 AM IST

नई दिल्ली. Afghanistan पर शासन जमा चुके तालिबान ने यह कहकर दुनियाभर को चौंका दिया है कि चीन उसका सबसे अच्छा साझेदार है। इस बीच पाकिस्तान अपने यहां होने वाली सार्क देशों के मीटिंग से पहले अफगानिस्तान को दुनिया के सामने 'अच्छी सरकार' बताने की कवायद में जुट गया है। अफगानिस्तान को अमेरिका से मदद मिलना बंद हो चुकी है। ऐसे में अब चीन आगे आया है। तालिबान यह बयान दे चुका है कि चीन उसका सबसे अच्छा साझेदार है। 28 जुलाई को चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी ने चीन के तियानजिन में अफगानिस्तान के तालिबान के राजनीतिक प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद चीन और अफगानिस्तान की बढ़ती नजदीकियां सामने आ गई थीं।

यह भी पढ़ें-पंजशीर में भीषण युद्ध के बीच अफगान लड़ाके शेयर कर रहे कविताएं, सम्मान के लिए Taliban से लड़ते रहेंगे

अफगानिस्तान की खनिज सम्पदा पर चीन की नजर
तालिबान ने गुरुवार को एक बयान के जरिये साफ कह दिया कि चीन उसका सबसे अच्छा मददगार है। चीन अपने फायदे के लिए तालिबान की मदद करने को तैयार है। दरअसल, अफगानिस्तान में 3 ट्रिलियन डॉलर (करीब 200 लाख करोड़ रुपए) की खनिज संपदा है। इसी को देखते हुए चीन वहां अपनी फैक्ट्रियां लगाना चाहता है।

चीन को उईगर मुस्लिमों से टेंशन
हालांकि चीन ने तालिबान से भरोसा लिया है कि वो उईगर मुस्लिमों को लेकर कोई दखल नहीं देगा। साथ ही अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल चीन के खिलाफ नहीं होने देगा। हालांकि ऐसा वादा तालिबान कुछ दिन पहले भारत से भी कर चुका है। लेकिन पाकिस्तान और चीन के साथ उसके बढ़ते रिश्ते भारत के लिए टेंशन का कारण हैं।

यह भी पढ़ें-Afghanistan: बाइडेन को भारी पड़ा ओवर कॉन्फिडेंस; गनी से 14 मिनट का फोन कॉल लाया सच, क्यों Taliban से हारे

तालिबान के नेता ने दिया बयान
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने इटली के अखबार ‘ला रिपब्लिका’ को एक इंटरव्यू दिया है। इसमें तालिबान और चीन के रिश्तों का खुलासा किया गया। मुजाहिद ने माना कि अफगानिस्तान की इकोनॉमी खस्ता हालत में है। तालिबान को मुल्क चलाने के लिए फंड की जरूरत है। चीन उनकी मदद करने को तैयार है। बता दें कि 15 अगस्त को तालिबान का काबुल पर नियंत्रण होते ही अमेरिका सहित तमाम फॉरेन फंड्स बंद कर दिए गए हैं। मुजाहिद ने चीन को सबसे भरोसेमंद सहयोगी बताते हुए कहा कि वो अफगानिस्तान में इन्वेस्टमेंट करके इसे नए सिरे से खड़ा करेगा। चीन सिल्क रूट के जरिए अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। अफगानिस्तान में तांबे की खदाने हैं। चीन की मदद से दुनिया को तांबा बेचा जा सकेगा।

पाकिस्तान स्वीकार कर चुका है खुलेआम रिश्ते
पाकिस्तान खुलेआम तालिबान से अपने रिश्ते स्वीकार कर चुका है। पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद ने एक टीवी चैनल को लिए इंटरव्यू में साफ कहा कि उन्होंने तालिबानी उग्रवादियों को शरण दी और शिक्षा दी। इमरान खान सरकार ने तालिबानी नेताओं की हर तरह से मदद की, जिसक वजह से वे 20 साल बाद सत्ता में आए। पाकिस्तान ने खुलकर माना कि वो तालिबान का संरक्षक है। बताया जा रहा है कि तालिबानी लड़ाकों को ट्रेनिंग देने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के चीफ और बड़ी संख्या में अफसर अफगानिस्तान जा रहे हैं। तालिबानी सरकार में पाकिस्तान के खास हक्कानी नेटवर्क को प्रमुखता से जगह मिल सकती है। यह संगठन आतंकवादी गतिविधियों के लिए जाना जाता है।

यह भी पढ़ें-कई तालिबानों को मारकर मरा ये पंजशीर का शेर, 20 साल से सुकून में थे चच्चा; फिर से उठाने पड़े हथियार

हंगामे भरी हो सकती है सार्क देशों की बैठक 
सार्क देशों की अगली बैठक पाकिस्तान मे होने वाली है। पाकिस्तान जल्द यह बैठक बुलाना चाहता है। इसमें वो अफगानिस्तान को भी बुला रहा है। ऐसे में भारत और पाकिस्तान दोनों आमने-सामने होंगे। पाकिस्तान तालिबानी सरकार को मान्यता दिलाने में लगा हुआ है, जबकि भारत अभी खामोश है। बता दें कि यह बैठक मार्च में होनी थी, लेकिन कोरोना के चलते उसे टालना पड़ा। इससे पहले 2016 में पाकिस्तान ने सार्क की मेजबानी की थी। इसमें भारत नहीं गया था। उसने उरी के आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले के कारण इसका बहिष्कार कर दिया था। हालांकि कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल और तालिबान के प्रतिनिधि के बीच हुई मुलाकात के बाद संकेत मिल रहे हैं कि मोदी सरकार तालिबान को लेकर अपनी नीति की समीक्षा कर सकती है। बता दें कि सार्क देशों में अफगानिस्तान भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अलावा बांग्लादेश, भूटान,मालदीव,नेपाल और श्रीलंका हैं।

(यह तस्वीर 28 जुलाई की है, जब चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी ने चीन के तियानजिन में अफगानिस्तान के तालिबान के राजनीतिक प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की थी। क्रेडिट-ली रान/ सिन्हुआ रॉयटर्स)

Share this article
click me!