
Afghanistan Pakistan Border Clashes: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने रविवार को पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर वह शांति नहीं चाहता तो काबुल के पास "दूसरे विकल्प" भी हैं। यह बयान सीमा पर हुई झड़पों के बाद आया है, जिसमें 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं। पाकिस्तान ने 19 अफगान सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया है। मुत्ताकी ने कहा कि अफगानिस्तान को आम नागरिकों से कोई समस्या नहीं है, लेकिन "पाकिस्तान में कुछ तत्व तनाव पैदा कर रहे हैं।"
यह सीमा पार हमले गुरुवार को पाकिस्तानी हवाई हमलों द्वारा अफगान राजधानी को निशाना बनाए जाने के बाद हुए हैं। इस हमले के लिए काबुल ने इस्लामाबाद को दोषी ठहराया था। भीषण झड़पों के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच मुख्य सीमा पार मार्ग बंद कर दिए गए हैं। अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के अधिकारियों का कहना है कि उनकी सेना ने रात भर के सीमा अभियानों में 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया, जबकि पाकिस्तान ने यह संख्या 23 बताई है। पाकिस्तान का कहना है कि उसके सुरक्षा बलों ने 19 अफगान सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया है।
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा, "पाकिस्तान के ज्यादातर लोग शांति पसंद करते हैं और अफगानिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं। हमें पाकिस्तानी नागरिकों से कोई समस्या नहीं है। पाकिस्तान में कुछ तत्व हैं जो तनाव पैदा कर रहे हैं। अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की ओर से बढ़े तनाव का जवाब देकर कल रात अपने सैन्य लक्ष्य हासिल कर लिए।" उन्होंने कहा,
अफगानिस्तान अपनी सीमाओं और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा। इसीलिए हमने पाकिस्तान की ओर से बढ़े तनाव का तुरंत जवाब दिया। हमने कल रात अपने सैन्य लक्ष्य हासिल कर लिए। हमारे दोस्तों, कतर और सऊदी अरब ने कहा है कि यह संघर्ष खत्म होना चाहिए। इसलिए हमने फिलहाल अपनी तरफ से इसे रोक दिया है। स्थिति अब नियंत्रण में है। हम केवल अच्छे रिश्ते और शांति चाहते हैं।
मुत्ताकी ने कहा, "जब कोई हमारे अंदरूनी मामलों में दखल देने की कोशिश करता है तो सभी नागरिक, सरकार के मुखिया, उलेमा और सभी धार्मिक नेता देश के हित में लड़ने के लिए एक साथ आ जाते हैं। अफगानिस्तान 40 साल से संघर्ष में रहा है। अफगानिस्तान आखिरकार आजाद है और शांति के लिए काम कर रहा है। अगर पाकिस्तान अच्छे रिश्ते और शांति नहीं चाहता, तो अफगानिस्तान के पास दूसरे रास्ते भी हैं।"
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मुत्ताकी ने कहा, “अब अफगानिस्तान में टीटीपी की कोई मौजूदगी नहीं है। काबुल में हमारी वापसी से पहले भी, पाकिस्तानी सेना ने कबायली इलाकों में ऑपरेशन किए थे, जिससे बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए थे। अमेरिकी सेना और अमेरिका समर्थित पिछली सरकार ने उन्हें अफगान धरती पर शरण दी थी। वे विस्थापित इलाकों के पाकिस्तानी लोग हैं और उन्हें शरणार्थियों के रूप में देश में रहने की इजाजत है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा डूरंड लाइन 2400 किलोमीटर से ज्यादा लंबी है। इसे न तो 'चंगेज' और न ही 'अंग्रेज' नियंत्रित कर सके। अगर पाकिस्तान शांति चाहता है तो उसे इसके लिए काम करना चाहिए। उसे कुछ लोगों को खुश करने के लिए कई लोगों की जान जोखिम में नहीं डालनी चाहिए।”
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