Pakistan की यात्रा पर जाएंगे Taliban सरकार के विदेश मंत्री, China और India दोनों हुए alert

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI तालिबान नेताओं को संरक्षण देती रही है। जब 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर तालिबान शासन रहा तो उस समय भी पाकिस्तान हमेशा उसके साथ खड़ा रहा। तालिबान का इस्लामिक अमीरात (Islamic emirate) पाकिस्तानी की आईएसआई ( ISI) के सहयोगी की तरह काम करता था।

Asianet News Hindi | Published : Nov 9, 2021 12:26 PM IST

काबुल। अफगानिस्तान (Afghansitan) में बनी तालिबान (Taliban) की अंतरिम सरकार (interim Government) के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुतक्की (Aamir Khan Mutakki) पाकिस्तान की यात्रा (Pakistan visit) पर जाएंगे। पाकिस्तान ने उनकी यात्रा को हरी झंडी दे दी है। तालिबानी मंत्री की यात्रा पर भारत (India) ही नहीं बल्कि पाकिस्तान का शुभचिंतक देश चीन (China) भी यात्रा संबंधी गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए हुए है। चीन के ग्लोबल टाइम्स ने रिपोर्ट किया है कि इस यात्रा से पाकिस्तान और अफगानिस्तान आपसी संबंधों को मजबूती प्रदान करेंगे। दोनों देश एक दूसरे से संबंध को आगे बढ़ाने के लिए समझौते भी कर सकते हैं। 

पाकिस्तान को तालिबान से हमेशा रहा फायदा

दरअसल, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI तालिबान नेताओं को संरक्षण देती रही है। जब 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर तालिबान शासन रहा तो उस समय भी पाकिस्तान हमेशा उसके साथ खड़ा रहा। तालिबान का इस्लामिक अमीरात (Islamic emirate) पाकिस्तानी की आईएसआई ( ISI) के सहयोगी की तरह काम करता था। इस बार भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के तत्कालीन प्रमुख फैज हमीद ने तालिबानी सरकार के गठन के दौरान काबुल की यात्रा की थी। जानकारों की मानें तो अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के उदय के बाद पाकिस्तान को आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए एक बड़ी जमीन मिल गई है। 

चीन को दिख रहा फायदा

पाकिस्तान का करीबी चीन, अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान की नजदीकियों का फायदा उठाना चाहता है। वह पाकिस्तान के कंधे पर हाथ रखकर अफगानिस्तान में अपने निवेश को बढ़ाना चाहता है। चीन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China–Pakistan Economic Corridor-CPEC) में 62 अरब अमेरिकी डॉलर का इन्वेस्ट किया है। यह अंतरराष्ट्रीय बेल्ट और सड़क पहल ( Road Initiative) की एक सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है।

बीते महीनों ही चीन ने इस प्रोजेक्ट में अफगानिस्तान को भी शामिल करने का ऐलान किया है। दरअसल, चीन की नजर अफगानिस्तान में खनिज संसाधनों (mineral resources), मेस ऐनाक स्थित तांबे की खान (copper mine) पर है। वह CPEC को अफगानिस्तान तक बढ़ाना चाहता है। 

मेस ऐनक ( पश्तो / फारसी में अर्थ है तांबे का छोटा स्रोत), जिसे मिस ऐनक या मिस-ए- ऐनाक भी कहा जाता है, एक बंजर क्षेत्र में स्थित काबुल के 40 किमी दक्षिण-पूर्व में एक साइट है। यह लोगार प्रांत में है। यह अफगानिस्तान का सबसे बड़ा तांबे का भंडार है।

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