
Peter Navarro US-India Trade Tensions: भारत जिस तरह से तरक्की कर रहा है ये बात अमेरिका को बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रही है। जो अमेरिका पहले कभी भारत के साथ दोस्ती बनाए रखता था, उस आज चिढ़ सी पैदा हो गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मन में सबसे ज्यादा जहर घोलने का काम किसी और न नहीं बल्कि पीटर नवारो है जोकि जोकि डोनाल्ड ट्रंप और वाइट हाउस के ट्रेड एडवाइजर हैं। अमेरिका के साथ भारत जो पक्षपाती डील करने की तैयारी में है उस साजिश को पीटर नवारो ने ही रचा है।
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डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल 2016 से 2020 तक नवारो ने पहले व्हाइट हाउस राष्ट्रीय व्यापार परिषद के निदेशक और फिर नए व्यापार एवं विनिर्माण नीति कार्यालय के निदेशक के रूप में कार्य किया। ऐसा कहा जा रहा है कि पीटर नवारो ही वो व्यक्ति है जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ये सलाह दे रहा है कि भारत पर हेवी टैरिफ लगाओ ताकि वो डरकर अमेरिका के साथ ट्रेड डील साइन करने पर मजबूर हो जाएं। भारत इन सबके बावजूद किसी भी तरह से हर मानने के लिए तैयार नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप और पीटर नवारो के घमंड को तोड़ दिया और टैरिफ की शर्तों को मानना से इनकार कर दिया। इसी बात से बौखलाकर पीटर नवारो भारत के खिलाफ आग उगलते हुए दिखाई दिए।
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पीटर नवारो ने भारत के खिलाफ बात करते हुए कहा कि भारत की वजह से ही यूक्रेन में शांति का माहौल नहीं बन रहा है। क्योंकि भारत हमें जो सामान बेचकर पैसे कमाता है उसी से वो रूसी तेल खरीदता है। बाद में उसी तेल को प्रोसेस करके कई मुनाफा कमाता है। इससे रूस की भी कमाई होती है और वो उससे यूक्रेन के खिलाफ हथियार खरीदता है। इसके अलावा अमेरिका ने ही भारत से कहा था कि वो रूसी तेल को खरीदे और उसी तेल को यूरोप में बेच दें। वैसे देखा जाए तो भारत ही नहीं बल्कि खुद अमेरिका, चीन और यूरोप भी रूसी तेल को खरीद रहा है। जब से जंग की शुरुआत हुई है तब से अमेरिका यूक्रेन को हथियार बेच रहा है। जब इस बारे में अमेरिका से सवाल किया गया तो उसकी बोलती बंद हो गई। लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को बेहद ही करारा जवाब दिया।
एस जयशंकर ने कहा कि भारत रूसी तेल के सबसे बड़े र नहीं है, वो चीन है। हम एलएनजी के भी सबसे बड़े खरीदार नहीं है वो भी यूरोपियन यूनियन है। हम वो देश भी नहीं है, जिसका 20222 के बाद रूस के साथ व्यापार में सबसे बड़ा उछाल आया हो वो कुछ साउथ के देश हैं। हम एक ऐसा देश हैं, जिसे पिछले कुछ सालों से अमेरिका ही ये बोलता आ रहा है कि भारत को वो सबकुछ करना चाहिए जिसके चलते दुनिया की एनर्जी मार्किट स्थिर रहे और उसके अंदर रूसी तेल खरीदने की भी बात शामिल थी।
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