Afghanistan में तालिबानी बंदिशों के बीच शिक्षा की अलख जगा रही यह महिला, बच्चों की मुफ्त में कराती हैं पढ़ाई

तालिबानी बंदिशों के बीच सोदा नाजांद नाम की महिला शिक्षा की अलख जगा रही हैं। वह काबुल में बेघर बच्चों को मुफ्त में पढ़ाती हैं। वह उन बच्चों की पढ़ाई कराती हैं जो फूटपाथ पर छोटे-मोटे दुकान चलाकर अपना पेट पालते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 17, 2022 2:38 AM IST / Updated: Feb 17 2022, 08:14 AM IST

काबुल। पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान (Afghanistan) की सत्ता पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद सबसे अधिक बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई। 20 साल पहले अमेरिकी सेना द्वारा तालिबान को सत्ता से हटाने के बाद लड़कियों की पहुंच स्कूलों तक हुई थी। वे पढ़-लिखकर अपना भविष्य संवारने के सपने देखने लगी थी। महिलाएं दफ्तरों में काम करने जा रहीं थी। 

अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबान राज कायम है। तालिबान ने महिलाओं पर कई सख्त पाबंदियां लगा रखी हैं। लड़कियां पढ़ने के लिए स्कूल नहीं जा पा रहीं है। हालांकि तालिबानी बंदिशों के बीच एक महिला ऐसी है जो शिक्षा की अलख जगा रही हैं। सोदा नाजांद नाम की यह महिला बेघर बच्चों को मुफ्त में पढ़ाती हैं। 

Latest Videos

सोदा राजधानी काबुल में रहती हैं और गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देती हैं। वह उन बच्चों की पढ़ाई कराती हैं जो फूटपाथ पर छोटे-मोटे दुकान चलाकर अपना पेट पालते हैं। टोलो न्यूज से बातचीत में हाई स्कूल ग्रेजुएट नाजांद ने कहा कि वह एक पार्क में बच्चों को रोज तीन घंटे पढ़ाती हैं। उन्होंने कहा कि मैंने बच्चों को सबसे पहले यह सिखाया कि कैसे पढ़ा जाता है। इसके बाद उन्हें गणित और कुरान की शिक्षा दी। अब ये बच्चे अंग्रेजी पढ़ने के लिए उत्साहित हैं। 

पढ़-लिखकर भविष्य संवारना चाहते हैं बच्चे
नाजांद की क्लास में रोज तीस बच्चे पढ़ते हैं। बच्चों का कहना है कि उन्हें शिक्षा की बहुत अधिक जरूरत है। वे पढ़-लिखकर अपना भविष्य संवारना चाहते हैं। नाजांद ने कहा कि ये बच्चे पहले भीख मांगते थे। मैंने उन्हें भीख मांगना बंद करने और काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। अब उन्हें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही हूं। मुझे लगता है कि संकट के इस समय में प्रेरणा प्रदान करना सबसे अच्छी चिजों में से एक है। 

टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से कई बच्चे खतरनाक काम में लगे हैं। वे आर्थिक चुनौतियों के कारण शिक्षा से वंचित हैं। इन छात्रों में एक सात साल का शाकिब है जो जूता पॉलिश करता है। शाकिब ने कहा कि मैंने पढ़ाई करना सीखा है। इससे पहले मुझे पढ़ना नहीं आता था। एक छात्र ने कहा कि उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि पढ़ाई करने के लिए निजी शिक्षण केंद्रों की फीस दे सके। इसके चलते वह इस क्लास में शामिल होता है। 

बता दें कि अफगानिस्तान को बार-बार बच्चों के लिए शीर्ष सबसे खराब देशों में स्थान दिया गया है। दशकों से चले आ रहे संघर्ष ने अफगान बच्चों को प्रभावित किया है। सेव द चिल्ड्रन ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा है कि अफगानिस्तान में गंभीर गरीबी के कारण, परिवारों का पांचवां हिस्सा अपने बच्चों को काम पर भेजने के लिए बाध्य है। इसके अलावा, पिछली सरकार के पतन के बाद से छह महीनों में तालिबान का स्कूलों और विश्वविद्यालयों को फिर से खोलना बाकी है।

 

ये भी पढ़ें

Ukraine Crisis: कम नहीं हुआ यूक्रेन पर हमले का खतरा, अमेरिका का दावा रूस ने सीमा पर जुटाए 7 हजार और सैनिक

चार महीने बाद Pakistan भारत की मानवीय सहायता Afghanistan जाने देने को हुआ तैयार, पहले रखी थी यह शर्त

मेडिकल की पढ़ाई के लिए हर साल हजारों छात्र जाते हैं Ukraine, यह है मुख्य वजह

Share this article
click me!

Latest Videos

Israel Hezbollah War: Nasrallah की मौत पर क्यों बंट गए मुस्लिम देश?
Rahul Gandhi LIVE: राहुल गांधी ने सोनीपत में जनता को संबोधित किया | हरियाणा विजय संकल्प यात्रा |
LIVE: पेरिस ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाले एथलीटों और कोचों के लिए सम्मान कार्यक्रम
Supreme Court On Bulldozer Action: SC ने सरकारों को अब ढंग से समझा दिया
7000 km का सफर तय करेगी 'वायु वीर विजेता' कार रैली, 50 से अधिक वायु योद्धा लेंगे हिस्सा