आर्थिक संकट झेल रहा पाकिस्तान (Pakistan economic crisis) अब टूटने की कगार पर पहुंच गया है। गिलगित बाल्टिस्तान के बाद अब पीओके के लोग भी भारत में विलय की मांग कर रहे हैं।
नई दिल्ली। पाकिस्तान इन दिनों कंगाली की हालत में है। विदेशी मुद्रा की कमी के चलते सरकार दवा और भोजन जैसे जरूरी सामान भी दूसरे देश से आयात नहीं कर पा रही है। दूसरी ओर महंगाई इतनी बढ़ गई है कि लोगों के लिए पेट भरना भी मुश्किल हो गया है। आर्थिक तंगी के बीच पाकिस्तान में विद्रोह की आवाज भी बुलंद होने लगी है। ऐसा लग रहा है जैसे पाकिस्तान एक बार फिर टूटने की कगार पर पहुंच गया है।
गिलगित बाल्टिस्तान के बाद अब पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में लोग भारत के साथ विलय की मांग करने लगे हैं। इसके लिए लोग सड़क पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोग पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पीओके और गिलगित बाल्टिस्तान के लोग पाकिस्तान सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों से नाराज हैं। पाकिस्तान की सरकार ने दशकों से इस क्षेत्र का शोषण किया है। इसके चलते गिलगित बाल्टिस्तान के लोग अब भारत के साथ पुनर्मिलन की मांग कर रहे हैं। सरकार के खिलाफ किए गए विरोध प्रदर्शन के कई वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए गए हैं।
लोग कर रहे लद्दाख में विलय की मांग
एक वीडियो में गिलगित-बाल्टिस्तान में निकाली गई विशाल रैली को दिखाया गया है। इसमें लोग कारगिल सड़क फिर से खोलने की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग है कि गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले से मिलाया जाए।
पिछले 12 दिनों से इस क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। स्थानीय लोग गेहूं और अन्य खाद्य पदार्थों पर सब्सिडी देने, बिजली कटौती, जमीन पर अवैध कब्जा और क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों के शोषण जैसे मुद्दों को उठा रहे हैं। लोगों में पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा है। आर्थिक तंगी के चलते पाकिस्तान के लोग परेशान हैं। गेहूं नहीं मिल रही है, जिससे लोगों का गुजारा कर पाना मुश्किल हो गया है। रोजमर्रा के सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं। परिवार का पेट नहीं भर पाने की स्थिति में गिलगित बाल्टिस्तान के लोग भारी संख्या में सड़क पर आ गए हैं और कारगिल सड़क खोलने की मांग कर रहे हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा था-गिलगित-बाल्टिस्तान पहुंचने पर पूरी होगी भारत की विकास यात्रा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था, "गिलगित और बाल्टिस्तान पहुंचने के बाद भारत की विकास की उत्तर दिशा की यात्रा पूरी होगी।" दरअसल, रक्षा मंत्री 1994 के एक प्रस्ताव का जिक्र कर रहे थे। संसद में पारित किए गए इस प्रस्ताव में पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान को वापस लेने का जिक्र है।