Bangladesh violence: बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। शनिवार की देर रात भारी भीड़ ने देश की सीनियर जर्नलिस्ट मुन्नी साहा को भीड़ ने घेर कर हमला बोल दिया। भीड़ लगातार मुन्नी साहा पर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाते हुए कह रही थी कि वह बांग्लादेश को भारत का हिस्सा बनाने की साजिश में शामिल हैं। हालांकि, भीड़ से घिरी साहा यह कहती रहीं कि यह भी मेरा देश है लेकिन गुस्साएं लोग सुनने को तैयार नहीं थे। भीड़ से घिरी साहा को एक पुलिस टीम ने किसी तरह बचाया और उनको हिरासत में ले लिया। हालांकि, बाद में उनको रिहा कर दिया गया।
सीनियर जर्नलिस्ट मुन्नी साहा को भीड़ ने घेर लिया था, तबका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा। भीड़ की आवाज वीडियो में साफ-साफ सुनी जा सकती है जिसमें कहा जा रहा कि 2009 के बांग्लादेश राइफल्स के विद्रोह के बारे में उन्होंने लोगों को गुमराह किया। इस वजह से 57 लोगों की जान चली गई थी। पत्रकार साहा से लोग कह रहे कि आप इस देश को भारत का हिस्सा बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। छात्रों का खून आपके हाथों पर है। भीड़ चिल्ला रही कि आप इस देश की नागरिक होकर इस देश को कैसे नुकसान पहुंचा सकती हैं? साहा सफाई दे रहीं कि मैंने क्या नुकसान पहुंचाया है? यह भी मेरा देश है।
बांग्लादेश मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुन्नी साहा वहां हुए आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के दौरान एक छात्र की मौत से जुड़े केस में वांटेड थीं। प्रदर्शनों के व्यापक होने के बाद शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा था। पुलिस ने बताया कि साहा को राजधानी ढाका के कावरान क्षेत्र में भीड़ ने घेर लिया था तक उनको वहां से बचाया गया। पुराने केस में उनको अरेस्ट किया गया। भीड़ ने ही उनको पुलिस के हवाले किया था। गिरफ्तारी के बाद उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। मेडिकल चेकअप के बाद उनको ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने कार्यवाही पूरी कर रिहा कर दिया। ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अफसर रेजाउल करीम मलिक ने साहा को अदालत से जमानत लेने और भविष्य में पुलिस के समन का पालन करने के लिए कहा गया है।
बांग्लादेश की सीनियर जर्नलिस्ट 55 वर्षीय मुन्नी साहा बंगाली चैनल एटीएन न्यूज की न्यूज हेड रह चुकी हैं। शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद उन पर और कई अन्य पत्रकारों पर मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया गया था।
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