इजरायल में बेंजामिन नेतन्याहू फिर बनेंगे प्रधानमंत्री, सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लिकुड पार्टी

Published : Nov 13, 2022, 05:18 PM IST
इजरायल में बेंजामिन नेतन्याहू फिर बनेंगे प्रधानमंत्री, सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लिकुड पार्टी

सार

तन्याहू को उनकी लिकुड पार्टी के अलावा शास, यूनाइटेड टोरा यहूदी धर्म, धार्मिक ज़ियोनिज़्म, यहूदी शक्ति और नोआम सहित दक्षिणपंथी गुट का समर्थन मिला है। प्रेसीडेंसी के एक बयान में कहा गया है कि नेसेट (इजरायल की संसद) के 64 सदस्यों का समर्थन हासिल करने वाले 73 वर्षीय नेतन्याहू को अगली सरकार बनाने का काम सौंपा गया है।

Benjamin Netanyahu new PM of Israel: इजरायल में नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। राष्ट्रपति आईजैक हर्जोग ने पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर दिया है। इजरायल की संसद में सबसे अधिक सांसदों का समर्थन होने की वजह से नेतन्याहू को सरकार बनाने का न्योता मिला है। 73 साल के नेतन्याहू को एक महीना में अपनी सरकार का गठन करना होगा। 

किस पार्टी ने कितनी सीटों पर हासिल की है जीत

हाल में हुए चुनाव में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी ने सबसे अधिक 32 सीटों पर जीत हासिल की है। जबकि निवर्तमान प्रधानमंत्री यायर लैपिक की येश अतीद को 24 सीटें मिली है। आश्चर्यजनक रूप से दक्षिणपंथी धार्मिक ज़ायोनीवाद पार्टी को 14 सीटों पर जीत हासिल हुई है। यह देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। नेतन्याहू के अन्य संभावित गठबंधन सहयोगी शास को 11 सीटें और यूनाइटेड टोरा यहूदी धर्म को सात सीटों पर जीत मिली है। 

64 सांसदों का समर्थन है नेतन्याहू को...

दरअसल, नेतन्याहू को उनकी लिकुड पार्टी के अलावा शास, यूनाइटेड टोरा यहूदी धर्म, धार्मिक ज़ियोनिज़्म, यहूदी शक्ति और नोआम सहित दक्षिणपंथी गुट का समर्थन मिला है। प्रेसीडेंसी के एक बयान में कहा गया है कि नेसेट (इजरायल की संसद) के 64 सदस्यों का समर्थन हासिल करने वाले 73 वर्षीय नेतन्याहू को अगली सरकार बनाने का काम सौंपा गया है। नेतन्याहू के पास सरकार बनाने के लिए 28 दिन का समय होगा। यदि विस्तार की आवश्यकता है, तो राष्ट्रपति के पास चौदह अतिरिक्त दिनों तक का विस्तार देने का कानूनी अधिकार है।

चुनाव परिणाम आने के बाद नेतन्याहू पर आरोप भी समाप्त

दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर 2019 के शुरूआत में ही कई प्रकार के आरोप लगे थे। रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोपों के बीच कई सालों तक राजनीतिक गतिरोध जारी रहा लेकिन चुनाव परिणामों के सामने आने के बाद गतिरोध समाप्त हो चुके हैं। हालांकि, पूर्व पीएम बेंजामिन नेतन्याहू पहले से ही सारे आरोपों को इनकार करते रहे हैं।

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