दो बार एफिल टॉवर बेचने वाला विक्टर लस्टिग बचपन से ही काफी शातिर था।उसे कार्ड खेलना काफी पसंद था। इसलिए जब भी वह जेल में होता तो कार्ड खेलने की नई-नई ट्रिक्स सीखता।
Biggest Conman of World: दुनिया का सबसे बड़ा नटवरलाल विक्टर लस्टिग (Victor Lustig) 4 जनवरी 1890 को हंगरी के हॉस्टिन (Hostinne) में पैदा हुआ था। उसका परिवार काफी गरीब (Poor) था। विक्टर जब 7 साल का हुआ तो उसके माता-पिता का तलाक हो गया था, जिसके बाद वह अपने रिश्तेदारों के साथ रहने लगा। वह बचपन से ही काफी शातिर था। कहा जाता है कि वह किसी भी चीज को तेजी से सीख लेता था। उसे लोगों के साथ दोस्ती करने में महारत हासिल थी। वह किसी से भी जल्दी से दोस्ती करके उसे अपना बना लेता था। जानकारी के मुतााबिक विक्टर इतना शातिर था कि उसने दो बार एफिल टॉवर को बेच डाला।
वह काफी गरीब था इसलिए उसने पैसा कमाने के लिए बचपन से ही भीख मांगना शुरू कर दिया था। जब भीख नहीं मिलती तो वह छोटी-मोटी चोरियां करता।Daily Mail के मुताबिक, उसका दिमाग इतना तेज था कि उसने बड़ा होते-होते पांच अलग-अलग भाषाएं सीख ली थीं। इस दौरान उसे लूट और चोरी के आरोपों में कई बार जेल भी जाना पड़ा।
उसे कार्ड खेलना काफी पसंद था। इसलिए जब भी वह जेल में होता तो कार्ड खेलने की नई-नई ट्रिक्स सीखता। उसने पेरिस, बुडापेस्ट, प्राग, ज्यूरिक जैसे शहरों में कई चोरियां कीं और वहां जेल की हवा भी खाई, लेकिन चोरी करके वह ज्यादा पैसा नहीं कमा पा रहा था। इसिलए उसने तय किया कि वह यूरोप छोड़कर अमेरिका जाएगा।
अमीर लोगों को लगाया चूना
एक दिन वह न्यूयॉर्क के लिए यात्रियों से भरे शिप में बैठकर रवाना हुआ। इस शिप में उसने देखा कि कई अमीर लोग भी ट्रैवल कर रहे हैं। उसने उन्हें लूटने का प्लान बनाया। उसने लोगों को बताया कि वह म्यूजिक कंपोजर है। उसने यात्रियों को बताया कि वह एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और उसे फंडिंग की जरूरत है। अगर उसका ये प्रोजेक्ट कामयाब होता है तो जो भी उसमें पैसा लगाएगा, उसे भी काफी फायदा होग। शिप में बैठे कुछ लोग उसकी बातों में आ गए और उसे पैसे दे दिए। इसके बाद वह वहां से रफूचक्कर हो गया।
पैसा डबल करने वाला बॉक्स
इसी तरह उसने एक और स्कैम किया था। उसने कारपेंटर से एक लकड़ी का बॉक्स बनवाया, जिसका नाम रखा रोमानियन बॉक्स (Romanian Box)। इसमें एक रेडियम की रील लगी थी। उसने लोगों को बताया कि इस बॉक्स में जब आप एक असली नोट डालोगे तो बॉक्स से दो नोट बाहर आएंगे। इसके लिए उसने बॉक्स में पहले से ही पैसे डाल रखे थे। लोगों के सामने वह उस बॉक्स में एक डॉलर डालता और वहां से दूसरा डॉलर निकल आता। ऐसे में लोगों को लगा सच में ब़क्स से डबल पैसे निकल रहे हैं।
देखते ही देखते रोमानियन बॉक्स को खरीदने के लिए लोग उतावले हो गए। बॉक्स खरीदने के लिए लोगों की भीड़ लग गई और उसने कारपेंटर से कई सारे रोमानियन बॉक्स बनवाए। इस एक बॉक्स के लिए वह उस समय एक हजार डॉलर से 30 हजार डॉलर की कीमत वसूलता था, जबकि, असल में वह बॉक्स महज 2 डॉलर थी।
सबको अलग-अलग बताता था नाम
विक्टर इतना चालाक था कि वह हमेशा लोगों को अपना गलत नाम और पता बताता था। इसके चलते उसके खिलाफ कई थानों में अलग-अलग नामों से FIR दर्ज हुईं। पुलिस भी उससे इतनी परेशान हो चुकी थी कि उन्होंने उसे ढूंढने के लिए तब विक्टर लस्टिग नाम दे डाला। बता दें, आज तक किसी को भी नहीं पता है कि उसका असली नाम क्या था?
लोगों को ठग कर उसने खूब पैसा कमाया और 1925 में वह पेरिस आकर बस गया। इस दौरान पहला विश्व युद्ध खत्म हुआ था और पेरिस में नवनिर्माण का काम चल रहा था। निर्माण की खबरें रोजाना अखबारों में छप रही थीं। ऐसी ही खबरों से भरा हुआ एक अखबार विक्टर के हाथ लगा। वह घर पर उस अखबार को पढ़ रहा था, जिसमें एफिल टॉवर (Eiffel Tower) की मरम्मत के बारे में खबर छपी थी। बस यहीं से विक्टर के दिमाग में एफिल टावर बेचने का आइडिया आया।
ऐसे बेच डाला पेरिस का Eiffel Tower
विक्टर ने एफिल टॉवर बेचने के लिए डाक और टेलीग्राफ मंत्रालय के डिप्टी डायरेक्टर का भेष अपना लिया और प्रिंटिंग प्रेस से फर्जी दस्तावेज तैयार किए जिसमें एफिल टॉवर से जुड़ी जानकारियां दी गईं। इसके बाद चुनिंदा व्यापारियों तक यह खबर पहुंचाई कि एफिल टॉवर की मरम्मत करवाना सरकार के लिए मुश्किल है, इसलिए वह इसे बेच रही है।
जानकारी के अनुसार 6 व्यापारी विक्टर के झांसे में आ गए और उसने उनके साथ ‘होटल दि क्रॉनिकल’ में एक मीटिंग फिक्स की। मीटिंग में उसने व्यापारियों से कहा कि एफिल टॉवर से लोगों के जज्बात जुड़े हैं। इसलिए उसके हटाए जाने के बारे में ज्यादा प्रचार नहीं किया जा रहा है.
व्यापारी से मांगी मोटी रिश्वत
विक्टर लस्टिग की ये चाल काम कर गई और कुछ दिन बाद एक व्यापारी ने उसे फोन किया। व्यापारी ने उससे कहा कि वह एफिल टॉवर खरीदना चाहता है। इस कॉन्ट्रैक्ट को देने के लिए विक्टर ने व्यापारी से मोटी रिश्वत मांगी और व्यापारी उसे घूस देने को तैयार हो गया। उसने काफी सारा पैसा विक्टर तक पहुंचा भी दिया, जिसको लेकर विक्टर फरार हो गया।
6 महीने बाद फिर बेचा एफिल टावर
इस घटना के 6 महीने बाद विक्टर दोबारा पेरिस लौटा और नए व्यापारियों से संपर्क साधा गया। इस बार फिर से कुछ व्यापारी विक्टर के झांसे में आ गए और एफिल टॉवर खरीदने में दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने विक्टर को घूस की मोटी रकम भी अदा की। पिछली बार की तरह ही इस बार भी विक्टर पैसे लेकर फिर से फरार हो गया। इसके बाद व्यापारी ने उसके के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा दी।
गर्लफ्रेंड ने ही फंसा दिया
पुलिस को लगातार चकमा दे रहा विक्टर उस समय पुलिस के हत्थे चढ़ गया जब उसकी गर्लफ्रेंड बिली मे (Billy May) ने उसे फंसा दिया। दरअसल, उसकी गर्लफ्रेंड को जब पता चला कि विक्टर के अन्य महिलाओं के साथ भी अफेयर हैं तो उसने उसे सबक सिखाने का सोचा और पुलिस को उसकी जानकारी दे दी।Mirror के मुताबिक, बिली ने एफबीआई को बता दिया कि विक्टर इस समय न्यूयॉर्क है। जिसके बाद 10 मई 1935, के दिन विक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया। कोर्ट ने उसे 20 साल कैद की सजा सुनाई गई, लेकिन 9 मार्च 1947 को उसकी जेल में ब्रेन ट्यूमर के चलते मौत हो गई।