
नई दिल्ली। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (UK Prime Minister Boris Johnson) बेहद दिलचस्प और सुलझी हुई शख्सियत हैं। उनके बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह जबरदस्त बॉक्सिंग भी करते हैं। अच्छे नेता के साथ-साथ वह पत्रकार भी बहुत अच्छे है। पहले उन्होंने रिपोर्टिंग की, मगर अब समसामयिक मुद्दों पर लिखते हैं। बोरिस के बारे में कहा जाता है कि वे बेहद मजबूत आदमी हैं और वह राजनीतिक, शारिरिक या सामाजिक जोखिम लेने में जरा भी नहीं डरते।
चाहे कोई भी मुद्दा हो बोरिस खतरों के खिलाड़ी हैं और जोखिम लेने से पीछे नहीं हटते। उनके बारे में कहा जाता है कि यदि वे ठान लेते हैं, तो फिर मैदान छोड़कर नहीं जाते। वैसे भी उनका यह पसंदीदा डायलॉग है और अक्सर वह इसे जरूरी जगहों पर बोलते भी हैं कि युद्ध के समय कुत्ते का आकार नहीं देखा जाता। लड़ाई कितनी देर चली यही मायने रखता है।
बोरिस का असली और पूरा नाम जानते हैं आप?
पूरी दुनिया उन्हें बोरिस के नाम से जानती है। उनका जन्म 19 जून 1964 को न्यूयार्क सिटी में हुआ। उनका असल नाम बोरिस डि पेफेफेल जॉनसन है। वे खुद को बोरिस कहने लगे और इसी नाम से मशहूर हो गए। वैसे तो परंपरागत तौर पर वे अंग्रेज हैं, मगर परिवार उनका मिक्सअप है। इसमें अंग्रेज, तुर्की मुस्लिम और पूर्वी यूरोप के यहूदी भी शामिल हैं। उनके परनाना लिथुआनियाई रब्बी थे। वहीं, परदादा तुर्की में राजनीतक शख्सियत और उनका नाम था अली केमाल। बाद में उनकी हत्या कर दी गई थी। बोरिस ने अपना बचपन पिता स्टेनली और मां शार्लोटे के साथ बिताया। उनका घर मशहूर चेल्सी होटल के सामने था।
भारत में स्वागत से अभिभूत हुए बोरिस
यह बातें इसलिए क्योंकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री दो दिन के भारत दौरे पर आए और जिस तरह हर रोज अपनी शख्सित से लोगों को रुबरु कराते हुए गए, यह बेमिसाल है। बोरिस जॉनसन ने पहले दिन जिस तरह जेसीबी पर खड़े होकर पोज दिया, वह फोटो भारत ही नहीं, दुनियाभर में वायरल हो गई। इसके साथ ही, अगले दिन उन्होंने एक बयान दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके खास दोस्त हैं और भारत में जिस तरह उनका स्वागत किया गया, इससे वह खुद को बोरिस जॉनसन की जगह सचिन तेंदुलकर और अमिताभ बच्चन जैसा महसूस कर रहे हैं।
मुद्दों पर मुखर रहे, मेयर रहते हुए पीएम से लड़ गए थे
बोरिस लंदन के मेयर थे और तब वे मौजूदा ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन से ही लड़ पड़े। यह लड़ाई थी लंदन के ट्रांसपोर्ट सिस्टम के लिए जारी फंड को लेकर। बाद में दोनों ने ही अपनी-अपनी जीत का दावा किया, मगर असल में जीत बोरिस की ही हुई थी और 2019 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद का सफर तय किया।
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