ट्रंप-ड्रैगन या DGMO: भारत-पाक युद्धविराम का आखिर असली शांति वार्ताकार कौन?

Published : Dec 31, 2025, 09:15 AM IST

भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम का श्रेय आखिर किसे जाता है? पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अब चीन ने मध्यस्थता का दावा कर दिया है। भारत ने साफ कहा-कोई तीसरा पक्ष नहीं। फिर चीन ऐसा दावा क्यों कर रहा है? क्या पर्दे के पीछे कोई और रणनीति है?

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ट्रंप के बाद चीन ने भी क्यों लिया भारत-पाक युद्धविराम का दावा?

India Pakistan Ceasefir: भारत और पाकिस्तान के बीच मई की शुरुआत में हुए सैन्य तनाव के बाद अब एक नया कूटनीतिक विवाद सामने आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बाद अब चीन ने भी दावा किया है कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने में उसकी भूमिका रही। इस दावे को लेकर नई दिल्ली ने कड़ा ऐतराज़ जताया है और साफ कहा है कि किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं थी।

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चीन ने अचानक यह दावा क्यों किया?

बीजिंग में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि इस साल दुनिया में स्थानीय युद्ध और सीमा पार संघर्ष बहुत बढ़े हैं। ऐसे में चीन ने कई “हॉटस्पॉट” इलाकों में शांति स्थापित करने की कोशिश की। उन्होंने दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव भी उन्हीं मुद्दों में शामिल था, जिनमें चीन ने “मध्यस्थता” की।

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किन-किन मामलों में चीन ने खुद को मध्यस्थ बताया?

वांग यी के अनुसार, चीन ने उत्तरी म्यांमार, ईरानी परमाणु मुद्दे, भारत-पाकिस्तान तनाव, फिलिस्तीन-इज़राइल संघर्ष और कंबोडिया-थाईलैंड विवाद जैसे मामलों में शांति प्रयास किए। लेकिन भारत-पाकिस्तान मामले में यह दावा सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में है।

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भारत ने चीन के दावे पर क्या कहा?

भारत का रुख बिल्कुल साफ है। विदेश मंत्रालय ने 13 मई की प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि 7 मई से शुरू हुआ सैन्य संघर्ष सीधे DGMO स्तर की बातचीत से सुलझा। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 10 मई 2025 को दोपहर 3:35 बजे भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच फोन कॉल हुई, जिसमें युद्धविराम की शर्तें तय की गईं। भारत ने दोहराया कि भारत-पाकिस्तान से जुड़े मामलों में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती।

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ऑपरेशन सिंदूर में चीन की भूमिका पर सवाल क्यों?

7 से 10 मई के बीच हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन की भूमिका पर भारत में गंभीर सवाल उठे। आरोप लगे कि चीन ने पाकिस्तान को सक्रिय सैन्य समर्थन दिया। बीजिंग ने इस संघर्ष को “लाइव लैब” की तरह इस्तेमाल किया। चीन के हथियार पाकिस्तान की सैन्य ताकत का बड़ा हिस्सा हैं। आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान के सैन्य हार्डवेयर का 81% से ज्यादा हिस्सा चीन से आता है।

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भारत के हवाई हमलों पर चीन ने क्या कहा?

भारत की एयर स्ट्राइक पर चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि उसे भारत का सैन्य अभियान “खेदजनक” लगता है। हालांकि बयान में पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया। चीन ने आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करने की बात तो कही, लेकिन पाकिस्तान को मिल रहे समर्थन पर चुप्पी साधे रखी।

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क्या भारत-चीन रिश्तों पर इसका असर पड़ेगा?

वांग यी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि भारत-चीन संबंधों में सुधार की अच्छी गति दिख रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को SCO शिखर सम्मेलन के लिए चीन आमंत्रित किए जाने का ज़िक्र किया। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान को लेकर चीन की नीति भारत-चीन रिश्तों में सबसे बड़ा रोड़ा बनी हुई है। भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है, लेकिन चीन के दावे ने कूटनीतिक हलकों में नई बहस जरूर छेड़ दी है।

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