चीन ने 'गलवान घाटी संघर्ष-2020' में मारे गए अपने 4 सैनिकों के नाम पर रखे पुल और गांवों के नाम

'गलवान घाटी संघर्ष-2020' में भारतीय सैनिकों के साथ हुई खूनी झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों को याद करते हुए चीन ने शिनजियांग और तिब्बत प्रांतों को जोड़ने वाले हाइवे से लगे पुलों और गांवों का नाम उनकी नाम पर रखा है। इनमें से कुछ हिस्से अक्साई चिन से होकर गुजरते हैं।

Amitabh Budholiya | Published : Nov 5, 2022 5:02 AM IST / Updated: Nov 05 2022, 10:33 AM IST

वर्ल्ड न्यूज. 'गलवान घाटी संघर्ष-2020' में भारतीय सैनिकों के साथ हुई खूनी झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों को याद करते हुए चीन ने शिनजियांग और तिब्बत प्रांतों को जोड़ने वाले हाइवे से लगे पुलों और गांवों का नाम उनकी नाम पर रखा है। इनमें से कुछ हिस्से अक्साई चिन से होकर गुजरते हैं। अक्साई चिन चीन द्वारा नियंत्रित एक विवादित क्षेत्र है, जिसे भारत लद्दाख का हिस्सा कहता है। एक मीडिया के अनुसार, पुलों का नाम चार सैनिकों, चेन जियांगरोंग, जिओ सियुआन, वांग झुओरान और चेन होंगजुन के नाम पर रखा गया है।

चीन ने अपने चार सैन्य कर्मियों के नाम पर इनका नामकरण किया है। चीन की आफिसियल मीडिय ने 4 नवंबर को इसका खुलासा किया। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में कहा गया कि इन सैन्यकर्मियों के नाम अब तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र तक जी-219 हाइवे के साथ सड़क के संकेतक पर दिखाई देने लगे हैं। पढ़िए पूरी डिटेल्स...

जानिए इससे जुड़ीं खास बातें
ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया कि गलवान घाटी में मारे गए चीनी सैनिकों के गृहनगर के अलावा जी-219 हाइवे के साथ 11 पुलों का नामकरण इनके नाम पर किया गया है। कुछ दिन पहले चीनी सैन्य कमांडर क्यूई फाबाओ सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की कांग्रेस में एक प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुआ था। यह भी जून, 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष में घायल हुआ था।

यह महत्वपूर्ण बात भी जानिए
जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सैनिकों के बीच झड़प के बाद से भारत और चीन सीमा पर गतिरोध बना हुआ है। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे। चीन ने हताहतों की संख्या चार बताई थी। हालांकि भारत यह संख्या  40 से ऊपर बताता रहा है। विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों ने कमांडर स्तर की 16 दौर की बातचीत की है। जुलाई में इस तरह की पिछली बैठक में, दोनों देश भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ जमीन पर स्थिरता बनाए रखने और समस्याओं को हल करने के लिए सहमत हुए थे। 14 सितंबर को, मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि भारतीय और चीनी सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में एक प्रमुख गतिरोध बिंदु, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में पैट्रोलिंग पॉइंट 15 से अपने सैनिकों को पूरी तरह से वापस बुला लिया है। सितंबर में भारत-चीन सीमा विवाद(India-China border dispute) को लेकर एक पॉजिटिव संकेत मिले थे। गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स एरिया से भारत और चीन की सेनाएं पीछे हट गई  थीं। दोनों देशों की सेनाओं ने 8 सितंबर को  गतिरोध वाले पॉइंट(PP-15) से पीछे हटने का ऐलान किया था।

लद्दाख में 3,488 किमी लंबी LAC 
भारत की चीन के साथ तीन हिस्सों में 3,488 किमी लंबी सीमा लगती है। एक हिस्सा ईस्टर्न सेक्टर का है, जो सिक्किम और अरुणाचल में है। दूसरा हिस्सा मिडिल सेक्टर है। यह हिमाचल और उत्तराखंड में आता है। जबकि तीसरा हिस्सा वेस्टर्न सेक्टर का है, जो लद्दाख में आता है। अगर इन तीनों हिस्सों को अलग-अलग करके देखें, तो सिक्किम और अरुणाचल की सीमा की लंबाई 1,346 किमी है। हिमाचल और उत्तराखंड सीमा 545 किमी लंबी है। लद्दाख में चीन के साथ सटा बॉर्डर 1,597 किमी लंबा है। जून, 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन की सेनाओं में हिंसक झड़प के बाद मामला बिगड़ गया था। दोनों देशों ने LAC पर 50-60 हजार तक सैनिक तैनात कर दिए थे। फरवरी, 2021 में डिसएंगेजमेंट (Disengagement Process) पर एक समझौते के अनुरूप पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से सैनिकों और हथियारों की वापसी पूरी की थी। तब से लगातार तनाव कम करने की कोशिशें जारी हैं।

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