
वॉशिंगटन. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को दो हफ्तों से ज्यादा समय हो गया है। लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प हार मानने को तैयार नहीं हैं। वे लगातार चुनाव नतीजों को खारिज कर रहे हैं। इसी के साथ वे अमेरिकी सुरक्षा हितों को भी खतरे में डाल रहे हैं। उन्होंने अभी तक बाइडेन को सत्ता हस्तांतरण नहीं की। बाइडेन और कमला हैरिस को इंटेलिजेंस ब्रीफिंग नहीं दी जा रही। ऐसे में ट्रम्प की यह जिद अमेरिका पर भारी भी पड़ सकती है।
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में सत्ता हस्तांतरण चुनाव नतीजों के फौरन बाद शुरू हो जाता है। बाइडेन अपनी टीम भी बना चुके हैं। लेकिन ट्रम्प के आदेश से मजजबूर अफसर उन तक जानकारियां नहीं भेज पा रहे हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति ही मिलिट्री का कमांडर इन चीफ होता है। उसको व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में बैठने से पहले बेहद संवेदनशील मामलों की गहराई से जानकारी करीब दो महीने पहले ही दी जाने लगती है। ऐसे में बाइडेन को इंटेलिजेंस ब्रीफिंग न मिलना कहीं न कहीं अमेरिका के सुरक्षा हितों से खिलवाड़ जैसा है।
ट्रम्प ने नहीं दिए जरूरी आदेश
अमेरिका में इंटेलिजेंस एजेंसियां सीनेट की एक कमेटी को जानकारी देती हैं। हालांकि, कुछ बेहद गोपनीय और अति संवेदनशील इंटेलिजेंस ब्रीफिंग राष्ट्रपति और कुछ खास अधिकारियों तक ही पहुंचती हैं। लेकिन ट्रम्प ने अब तक डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस को आदेश नहीं दिया कि वे बाइडेन को खुफिया मामलों की जानकारी दें। इससे खतरा ये है कि जब बाइडेन राष्ट्रपति बनेंगे शायद वे फौरन फैसले न ले पाएं। बिल क्लिंटन और जॉर्ज बुश के दौर में सीआईए की कमान संभाल चुके डेविड ने इसे खतरनाक स्थिति बताया। उन्होंने कहा, इसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ सकता है।
बाइडेन को पहले से अनुभव
बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते वक्त बाइडेन उप राष्ट्रपति रह चुके हैं। ऐसे में वे एडमिनिस्ट्रेशन और इंटेलिजेंस ब्रीफिंग की बारीकियों को गंभीरता से समझते हैं। वहीं, कमला हैरिस सीनेट की इंटेलिजेंस कमेटी की मेंबर हैं। बाइडेन ने कहा, मेरे लिए अच्छी बात ये है कि कमला हैरिस के पास इंटेलिजेंस ब्रीफिंग होती है। बहुत मुमकिन है कि इसी हफ्ते जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ट्रांजिशन शुरू करे और तब कानूनी तौर पर इंटेलिजेंस अफसर बाइडेन को इंटेलिजेंस ब्रीफिंग के लिए मजबूर होंगे।
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