
Trump Advisor Attcks India Over Russian Oil: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत को टैरिफ का महाराजा कहा और आरोप लगाया कि भारत रूस का तेल खरीदकर सिर्फ मुनाफा कमाने की योजना चला रहा है। उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह से भारत से आयात पर 50% तक के दंडात्मक टैरिफ लग सकते हैं।
नवारो ने कहा कि फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले से पहले भारत रूस का लगभग 1% तेल ही खरीदता था, लेकिन अब यह बढ़कर 35% हो गया है। भारत को इस तेल की जरूरत नहीं है। यह केवल रिफाइनिंग और मुनाफा करने की योजना है। यह क्रेमलिन के लिए एक तरह का लॉन्ड्रोमेट बन गया है।" नवारो के इस बयान के बाद भारत ने कहा है कि वह रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा। भारत ने रूस के साथ अपनी पुरानी दोस्ती निभाई है और हाल के दिनों में पड़ोसी देश चीन के साथ तनाव कम करने की कोशिश भी की है।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मॉस्को यात्रा के दौरान अमेरिका द्वारा भारत-रूस व्यापार पर लगाई गई आलोचना पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका की धमकियों से हैरान है, क्योंकि अमेरिका ही पहले भारत से रूस से तेल खरीदकर वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर करने में मदद करने के लिए कह चुका था।
जयशंकर ने कहा, "हम ऐसा देश हैं, जहां अमेरिकियों ने पिछले कुछ सालों से कहा कि हमें विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए हर संभव कदम उठाना चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है।" ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत की ये खरीदें रूस के युद्ध को पैसा उपलब्ध करवा रही हैं। इसी कारण भारत से आने वाली चीजों पर 50 प्रतिशत तक के दंडात्मक टैरिफ लगाए जाएंगे, जो किसी भी देश के उत्पादों पर लगने वाले सबसे ज्यादा टैरिफ में शामिल होंगे।
पीटर नवारो ने आगे ये भी कहा कि यह तर्क कि भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस का तेल चाहिए, सही नहीं है। उन्होंने कहा, “मोदी एक बड़े नेता हैं, लेकिन भारत को समझना चाहिए कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आपकी भूमिका क्या है। जो आप अभी कर रहे हैं, वह शांति नहीं ला रहा, बल्कि युद्ध को बढ़ावा दे रहा है।”
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नवारो ने दावा किया कि भारत रूस का सस्ता तेल खरीदता है और इसे रिफाइन करके यूरोप, अफ्रीका और एशिया में महंगे दामों पर बेचता है। मॉस्को की कसात्किन कंसल्टिंग के अनुसार, भारत रूस के तेल निर्यात का 37 प्रतिशत खरीदता है। उन्होंने कहा, "भारत को 'टैरिफ का महाराजा' कहा जा सकता है। अमेरिकी व्यापारियों और कर्मचारियों को नुकसान पहुंचता है, और जो पैसा हमें भारत से मिलता है, उसका इस्तेमाल रूस का तेल खरीदने में होता है, जिसे बाद में उनके रिफाइनर महंगे दामों पर बेचते हैं।"
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