श्रीलंका को डुबाने वाला सबसे बड़ा 'लाला' चीन नहीं, अमेरिका और यूरोप है, पढ़िए कौन देश कितना बड़ा साहूकार

श्रीलंका को डुबाने के पीछे चीन की साजिश मानी जाती रही है, लेकिन श्रीलंका के डिपार्टमेंट आफ एक्सटर्नल रिसोर्स की रिपोर्ट कुछ अलग ही चौंकाने वाला डेटा शेयर करती है। इसके अनुसार, सबसे बड़ा लाला'' यानी साहूकार चीन नहीं, अमेरिका और यूरोप है। पढ़िए श्रीलंका पर किस देश का कितना कर्ज...

वर्ल्ड न्यूज. श्रीलंका सारी दुनिया के लिए एक सबक बनकर सामने आया है, जो अनाप-शनाप कर्ज लेकर पी जाते हैं। करप्शन और गलत नीतियों के चलते ऐतिहासिक आर्थिक संकट से जूझ श्रीलंका (Economic Crisis in Sri Lanka) को गर्त में ले जाने के लिए चीन के कर्जे को जिम्मेदार माना जा रहा है, लेकिन  श्रीलंका के डिपार्टमेंट आफ एक्सटर्नल रिसोर्स की रिपोर्ट कुछ अलग ही चौंकाने वाला डेटा शेयर करती है। रिपोर्ट के अनुसार, सबसे बड़ा 'लाला' यानी साहूकार चीन नहीं, अमेरिका और यूरोप है। पढ़िए श्रीलंका ने किस देश से कितना कर्ज ले रखा है..

अमेरिका और यूरोप पहले से ही श्रीलंका को कमजोर करता आया है
एक गहरे आर्थिक संकट और दिवालियेपन का सामना कर रहे श्रीलंका की इस स्थिति के लिए कई पश्चिमी राजनीतिक नेता और मीडिया आउटलेट्स(Western political leaders and media outlets) कथित चीनी ऋण जाल(Chinese debt trap) को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लेकिन यह पूरा सच नहीं है। इन आरोपों को मुख्यधारा के शिक्षाविद(mainstream academics) पूरी तरह से खारिज कर चुके हैं। दरअसल, इस दक्षिण एशियाई राष्ट्र के विदेशी कर्ज(foreign debt) का अधिकांश हिस्सा पश्चिम देशों का है। अमेरिका के प्रभुत्व वाले(Washington-dominated IMF) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ बनाए गए 16 आर्थिक स्थिरीकरण कार्यक्रमों से जूझने वाले श्रीलंका का पश्चिमी कर्ज के बोझ तले दबे रहने का एक इतिहास रहा है। इन कार्यक्रमों ने सही तरीके से काम नहीं किया। वजह, श्रीलंका की अर्थव्यवस्था IMF के कई दशकों से चले आ रहे बैन के चलते कमजोर बनी रही। श्रीलंका ने 1948 में ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। इसलिए यूरोप उसे पसंद नहीं करता है।

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चीन का सिर्फ 10 प्रतिशत कर्ज
2021 तक श्रीलंका के विदेशी ऋण का 81% हिस्सा अमेरिका और यूरोपीय वित्तीय संस्थानों(financial institutions) के साथ-साथ पश्चिमी सहयोगियों खासकर जापान का है। इसमें भारत की हिस्सेदारी महज 2% है, उस पर भी इस समय भारत मदद के लिए सबसे आगे आया है। श्रीलंका के विदेश संसाधन विभाग( Sri Lanka Department of External Resources,) के आधिकारिक आंकड़ों की मानें, तो अप्रैल 2021 के अंत तक श्रीलंका पर जो कर्ज है, वो पश्चिमी देशों और उसके दबदबे में रहने वाले बैंकों का लगभग आधा हिस्सा 47% है।

अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बांड (ISB) के रूप में श्रीलंका सरकार को कर्ज देने वालीं फाइनेंसियल फर्म्स ये हैं

  1. ब्लैकरॉक (अमेरिका)
  2. एशमोर ग्रुप (ब्रिटेन)
  3. एलियांज (जर्मनी)
  4. यूबीएस (स्विट्जरलैंड)
  5. एचएसबीसी (ब्रिटेन)
  6. जेपी मॉर्गन चेस (अमेरिका)
  7. प्रूडेंशियल (अमेरिका)

चीन को कमजोर करने अमेरिका की हो सकती है प्लानिंग
अमेरिका ने एडीबी में अपनी सदस्यता के माध्यम से और अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति के साथ इस क्षेत्र में चीन के साथ सुरक्षा और पसंद के आर्थिक भागीदार के रूप में काम्पटीशन करना चाहता है। यह दावा थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) का है, जिसे पश्चिमी सरकारों द्वारा फंड किया जाता है। एडीबी पर अपना महत्वपूर्ण प्रभाव रखने वाले जापान की श्रीलंका के विदेशी कर्ज में 10% की भागीदारी है। अमेरिका के संरक्षण मे फलने-फूलने वाले एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक ने श्रीलंका को कुल उधारी का क्रमशः 13% और 9% कर्ज दे रखा है।

श्रीलंका के साहूकार: श्रीलंका को डुबोने में किसकी उधारी, अमेरिका-यूरोप या चीन, ये रिपोर्ट चौंकाती है

13%
एशियन डेवलपमेंट बैंक/ 4,415.7

47%
मार्केट से उधारी/16,383.4

10%
चीन/3,388.2

10%
जापान/3,360

9%
वर्ल्ड बैंक/3,230.9

9%
अन्य साहूकार/3,038.5

2%
भारत/859.3

(अप्रैल, 2021 तक श्रीलंका पर इन देशों का मिलियन USD कर्ज, सोर्स- डिपार्टमेंट आफ एक्सटर्नल रिसोर्स, श्रीलंका)
 

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