
कोलंबो. भारत में एक कहावत काफी प्रचलित है-'कर्ज लेकर घी पीना!' लेकिन अकसर कर्ज का घी हाजमा खराब कर देता है। हेल्थ बिगाड़ देता है। श्रीलंका के साथ ही ऐसा ही हुआ। आर्थिक संकट(economic crisis in sri lanka) की चपेट में आया श्रीलंका दिवालिया(defaulter) होने के कगार पर पहुंच गया है। श्रीलंका ने कुल कर्ज का 47% दूसरे देशों से ले रखा है। इसमें सबसे अधिक 15% चीन से ले रखा है। श्रीलंका ने कहा है कि फिलहाल वो किसी भी देश का पैसा चुकाने की हालत में नहीं है। राजपक्षे परिवार पर देश को लूटने का आरोप लग रहा है। विपक्ष कह रहा है कि 2004 से 2014 तक के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 19 अरब अमेरिकी डॉलर का गबन किया है।
कर्ज चुकाने से खड़े किए हाथ
इस समय श्रीलंका पर दूसरे देशों का कर्ज (total external date) 5,100 करोड़ डॉलर का है। श्रीलंका ने सभी देशों से कहा है कि कुछ समय तक वो किसी भी देश का कर्ज नहीं चुका पाएगा। यानी यह स्थिति उसे दिवालिया होने की ओर ले जा रही है। श्रीलंका जिस इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड(IMF) से उम्मीद पाले बैठा था, उससे भी निराशा लगी है। यानी IMF से उसे बेलआउट पैकेज नहीं मिला है। श्रीलंका के ट्रेजेरी सेक्रेट्री महिंद्रा सिरीवर्दने ने मंगलवार के यह जानकारी दी। लिहाजा श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने दूसरे देशों से साफ कहा है कि उस पर भी जो ब्याज है, उसके लिए इंतजार करना होगा। या श्रीलंकाई रुपए में पेमेंट स्वीकारना होगा। श्रीलंका पर पिछले साल 3,500 करोड़ डॉलर का कर्ज था। सालभर में यह बढ़कर 1,600 करोड़ डॉलर हो गया है। श्रीलंका के ऊपर 47 प्रतिशत कर्ज है। इसमें चीन का 15 प्रतिशत, एशियन डेवलपेंट बैंक का 13 प्रतिशत, वर्ल्ड बैंक क 10 प्रतिशत, जापान का 10 प्रतिशत और भारत का 2 प्रतिशत।
श्रीलंका को चाहिए बड़ी आर्थिक मदद
श्रीलंका के फाइनेंस मिनिस्टर अली सबरी (Ali Sabry) पहले ही कह चुके हैं कि फ्यूल और दवाइयों की सप्लाई को सुचारू करने और आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने श्रीलंका को अगले 6 महीने में करीब 3 बिलियन डॉलर की जरूरत है। हालांकि वो कैसे अरेंज होगा, किसी को नहीं मालूम। बता दें कि महंगाई ने श्रीलंका की हालत खस्ता कर दी है। देशभर में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapaksa) के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
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