Hijab Controversy: हिजाब पहनने वालीं महिलाओं को जॉब मिलने में परेशानी, पढ़िए एक चौंकाने वाला सर्वे

हिजाब को लेकर दुनियाभर में बहस छिड़ी हुई है। इस बीच यूरोप में एक सर्वे हुआ है। इसके हिसाब से जिन मुस्लिम महिलाओं ने हिजाब पहने तस्वीर के साथ डायरेक्टर क्लाइंट और कस्टमर्स से जुड़ी जॉब के लिए अप्लाई किया, उन्हें रिजेक्ट तक कर दिया गया।

Amitabh Budholiya | Published : Jul 26, 2022 3:03 AM IST / Updated: Jul 26 2022, 08:34 AM IST

नई दिल्ली. भारत के कर्नाटक में हिजाब विवाद (Hijab Controversy) इतना तूल पकड़ा कि अब यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है। हिजाब सोशल मीडिया पर लगातार ट्रेंड करता रहता है। कनार्टक हाईकोर्ट स्कूलों में हिजाब पर बैन के फैसले को सही ठहरा चुका है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पड़ा हुआ है। उधर, कई इस्लामिक देशों में हिजाब के खिलाफ महिलाओं ने विद्रोह मचा रखा है। 12 जुलाई को जब ईरान हिजाब को शुद्धता से जोड़कर दिवस मना रहा था, तब ईरानी महिलाएं ने हिजाब निकालकर अपना विरोध जताया था। विरोध रुक-रुक जारी है। करीब 4 करोड़ 50 लाख महिला आबादी वाले ईरान में महिलाओं की एक बड़ी आबादी हिजाब के खिलाफ है। वे  No2Hijab कैम्पेन चला रही हैं। इस बीच यूरोप में हिजाब को लेकर एक सर्वे हुआ है। इसके हिसाब से हिजाब पहनने वालीं महिलाओं को नौकरी हासिल करने में दिक्कत होती है। पढ़िए क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट...

कई देशो में हिजाब वाली महिलाओं को नौकरियों में इग्नोर कर दिया जाता है
यूरोपियन सोशियोलॉजिकल रिव्यू(European Sociological Review) में छपी एक स्टडी में रिसर्चर्स ने एक फील्ड एक्सपेरिमेंट किया। इससे पता चला कि हिजाब पहनकर अपनी पहचान छुपाने वालीं मुस्लिम महिलाओं को नीदरलैंड और जर्मनी में नौकरी की तलाश में क्लाइंट और कस्टमर्स के बीच सार्वजनिक कमेंट्स झेलने पड़ते हैं।अध्ययन करने के लिए शोधकर्ताओं ने उम्मीदवारों का एक समूह चुना। उनमें से प्रत्येक से नौकरी के लिए दो आवेदन कराए गए। एक हिजाब के साथ था, जो उनकी धार्मिक पहचान बता रहा था। दूसरा इसके ठीक उल्टा था। यानी आवेदक ने न तो हिजाब पहना था और न उसे देखकर कहा जा सकता था कि वो मुस्लिम है। ये आवेदन डायरेक्ट क्लाइंट-कस्टमर्स बेस्ड सर्विस जैसे-हेयर ड्रेसरर, शॉप असिस्टेंट और सेल्स रिप्रेजेंटेटिव की जॉब के लिए थे।

यह निकला सर्वे का रिजस्ट
नीदरलैंड में जिन आवेदनों में कोई धार्मिक पहचान नहीं दिखाई गई, उनमें से लगभग 70% नौकरियों में पॉजिटिव रिस्पांस मिला। लेकिन हिजाब पहने तस्वीरों वाले आवेदनों के लिए यही रेशो महज 35% था। इसी तरह जर्मनी में बगैर हिजाब वाली मुस्लिम महिलाओं में से 53% को एम्पलायर्स से पॉजिटिव रेस्पांस मिला, जबकि हिजाब वाली महिलाओं को सिर्फ 25% पॉजिटिव फीडबैक मिला। नीदरलैंड में यही रेशा चौंकाने वाला निकला। जिन 65 प्रतिशत मुस्लिम महिलाओं ने हिजाब पहनी तस्वीर के साथ जॉब के लिए अप्लाई किया था, उन्हें इंटरव्यू तक के लिए नहीं बुलाया गया। यही स्थिति स्पेन और जर्मनी में भी देखी गई।

बता दें कि यह सर्वे 9 जुलाई को यूनिवर्सिटी ऑफ (ऑक्सफोर्ड) ब्रिटिश से रिलेटेड एक वेबसाइट पर पब्लिश हुआ है। इसे 21 जुलाई को ट्विटर पर अपने प्राइवेट अकाउंट के जरिये शेयर किया था। इसे लेकर हंगामा भी हुआ रिसर्च से नीदरलैंड में (यूट्रेक्ट) विश्वविद्यालय से मरीना फर्नांडीज-रीनो, वेलेंटीना डि स्टासियो और जर्मन केंद्र से सुज़ैन वीट जुड़े थे।

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