
काबुल। अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (taliban) के कब्जे के बाद आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। गरीबी(Poverty), भूखमरी (hunger), बेरोजगारी (unemployment) बढ़ती जा रही है। वहां के बिगड़ते हालात को देखते हुए यूरोपियन यूनियन (European Union) ने मदद को हाथ बढ़ाया है। मंगलवार को यूरोपियन यूनियन ने अफगानिस्तान को 1 बिलियन यूरो (1 billion euros) की मदद देने का ऐलान किया।
इटली में वर्चुअल जी20 सम्मेलन में यूनियन ने बताया
यूरोपियन यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अफगानिस्तान में मानवता पर आई संकट और खराब होती आर्थिक स्थिति पर मदद की अपील करते हुए कहा कि यूनियन मानवता के लिए यह मदद कर रहा है।
लेकिन तालिबान को नहीं देंगे धन
उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि यह पैसे अफगानिस्तान की मदद के लिए हैं। यह पैसे उन अतंरराष्ट्रीय संगठनों को दिये जाएंगे जो जमीन पर वहां काम कर रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि यह पैसे तालिबान की सरकार को नहीं दिया जाएंगे क्योंकि उन्हें अभी मान्यता नहीं मिली है।
उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा, 'अफगानिस्तान में मानवता और सामाजिक-आर्थिक स्थिति की रक्षा के लिए हम सभी को वो सबकुछ करना चाहिए जो हम कर सकते हैं। हमें इसे जल्दी करना होगा।'
उन्होंने आगे कहा, 'तालिबान के साथ किसी भी तरह के सहयोग को लेकर हम अपने शर्तों पर कायम है और बिल्कुल साफ भी हैं। लेकिन तालिबान के इस काम की सजा वहां के लोगों को नहीं मिलनी चाहिए।'
अफगानिस्तान में खराब हैं हालात
अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद वहां की स्थितियां बेहद खराब हो गई हैं। कट्टरपंथी कानून और आतंकी गतिविधियों की वजह से वहां अर्थव्यवस्था एकदम से ठप है। तालिबान महिलाओं व अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने में मशगूल हैं। कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। व्यापार या अन्य किसी प्रकार के उद्योग धंधे बिल्कुल चौपट हो चुके हैं। महिलाओं के काम करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। शैक्षणिक गतिविधियां भी ठप हैं। पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है। देश में चल रहे बड़े देशों के प्रोजेक्ट भी ठप हो चुके हैं। ऐसे में यहां भूखमरी, बेरोजगारी और गरीबी गहराती जा रही है।
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