
पेरिस: ग्लोबल टेरर फंडिंग वॉचडॉग फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने एक बार फिर पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी है। FATF की अध्यक्ष एलिसा डी एंडा माड्राज़ो ने कहा कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाए जाने का मतलब यह नहीं है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग या आतंक फंडिंग से “सुरक्षित” हो गया है। उन्होंने साफ कहा कि हर देश, चाहे वह FATF की लिस्ट में हो या बाहर, अपराधियों और आतंकियों की फाइनेंशियल गतिविधियों से कभी भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह सकता।
FATF प्रमुख एलिसा माड्राज़ो ने पेरिस में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि पाकिस्तान को भले ही अक्टूबर 2022 में FATF की ग्रे लिस्ट से हटा दिया गया हो, लेकिन वह अभी भी कड़ी निगरानी में है। उन्होंने कहा, “ग्रे लिस्ट से बाहर आना इसका मतलब नहीं कि कोई देश अब अपराधियों या आतंकवादियों की फंडिंग से पूरी तरह सुरक्षित है। इसलिए सभी देशों को चाहिए कि वे अपने एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और एंटी-टेरर फाइनेंसिंग उपायों को लगातार लागू करते रहें।”
पाकिस्तान FATF का सदस्य नहीं है, इसलिए उस पर नजर रखने का काम एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) कर रहा है। यह संस्था यह सुनिश्चित करती है कि पाकिस्तान अपने एंटी-टेरर कानूनों और फाइनेंशियल ट्रैकिंग सिस्टम को ठीक से लागू कर रहा है या नहीं।
दरअसल, पाकिस्तान को 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था क्योंकि उस पर आतंक फंडिंग रोकने में गंभीर खामियां मिली थीं। 2022 में FATF ने उसे बाहर तो कर दिया, लेकिन शर्तों के साथ, “सुधारों की निगरानी जारी रहेगी।”
हाल में रिपोर्ट्स आईं कि पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) डिजिटल वॉलेट और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए अपने टेरर कैंपों को फंड कर रहा है। इन खबरों ने FATF की चिंता बढ़ा दी है।
भारत की नेशनल रिस्क असेसमेंट रिपोर्ट 2022 में भी पाकिस्तान को “हाई-रिस्क सोर्स ऑफ टेरर फाइनेंसिंग” बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान राज्य-प्रायोजित आतंकवाद और प्रसार फाइनेंसिंग में लगातार शामिल रहा है।
FATF की चौथी प्लेनरी मीटिंग पेरिस में हुई, जिसकी अध्यक्षता एलिसा माड्राज़ो ने की। इसमें 200 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। मीटिंग में अवैध फाइनेंस को रोकने, आतंकियों की फंडिंग पर नकेल कसने और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए नई रणनीतियों पर चर्चा की गई। FATF ने यह भी स्पष्ट किया कि दुनिया के किसी भी देश को यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि निगरानी खत्म होने का मतलब खतरा खत्म होना है।
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