
फिनलैंड. पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए जानवर बहुत जरूरी हैं। भारत में विलुप्त हो चुके चीते की आबादी को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने अफ्रीकी देशों से चीते लाकर कूनो नेशनल पार्क में छोड़े हैं। भारत की तर्ज पर फिनलैंड सरकार चीन से पांडा लाई थी। 2018 में पूरे 88 करोड़ रुपये का करार करके फिनलैंड सरकार ने इन पांडाओं को चीन से मंगवाया था। लेकिन इस पांडा की वजह से चिड़ियाघर अब आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। ऐसे में पांडा को वापस चीन भेजने की तैयारी है.
फिनलैंड के आहटारी चिड़ियाघर में 2018 में चीन से दो पांडा लाए गए थे। 15 साल की अवधि के लिए 2 पांडा लाए गए थे। इसके लिए शुरुआत में ही फिनलैंड सरकार ने चीन को 74 करोड़ रुपये दिए थे। फिनलैंड में पर्यटन प्रमुख आय का स्रोत है। ऐसे में पांडा पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। साथ ही पांडा के प्रजनन में मदद मिलेगी, इस उद्देश्य से इस बड़ी योजना की शुरुआत की गई थी।
88 करोड़ रुपये में से 74 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। शेष राशि का भुगतान चरणबद्ध तरीके से करने पर दोनों सरकारें सहमत हुई थीं। इधर 2018 से अब तक आहटारी चिड़ियाघर में पांडा के खाने, देखभाल करने वाले कर्मचारियों, रखरखाव आदि पर पूरे 14 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं.
अब समस्या यह है कि इन दोनों पांडाओं से चिड़ियाघर को होने वाली आय इसके रखरखाव और दी गई राशि के बराबर नहीं बैठ रही है। सरकार विशेष अनुदान दे रही है तो भी पर्याप्त नहीं है। अब फिनलैंड का चिड़ियाघर 2 पांडा की वजह से आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। इसका मुख्य कारण कोविड वायरस है.
2018 से 2019 के अंत तक आहटारी चिड़ियाघर में पर्यटकों की संख्या अच्छी रही। अन्य जानवरों और पक्षियों के साथ-साथ पांडा ने भी आहटारी चिड़ियाघर के आकर्षण को बढ़ाया था। लेकिन कोविड के आने के बाद पूरी दुनिया लॉकडाउन में बंद हो गई थी। पाबंदियों के कारण 2022 तक पर्यटकों के लिए रोक लगी रही। 2022 के बाद प्रतिबंध हटा दिए गए लेकिन पर्यटकों की आमद कम रही। ऐसे में आहटारी चिड़ियाघर आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे फिनलैंड ने अब 15 साल का करार तोड़कर 2 पांडा चीन वापस भेजने का मन बना लिया है.
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