उजड़े गाजा में कैसे पहुंचेगी मदद, जानें कैसे होगा खाना-पानी का बंदोबस्त?

Published : Oct 21, 2023, 01:21 PM ISTUpdated : Oct 21, 2023, 01:26 PM IST
palestine vs israel

सार

गाजा पट्टी में खाना-पानी खत्म होने की कगार पर है। बिजली सप्लाई ठप पड़ी है। अस्पतालों के हालात बद से बदतर हैं। ऐसे में दुनियाभर में इजराइल पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिसके बाद इजराइल ने गाजा पट्टी में मानवीय मदद की अनुमति दी है। 

Israel Hamas War : इजराइल हमास के बीच चल रही जंग में सबसे ज्यादा तबाही गाजा पट्टी में मची है। हजारों लोगों की मौत हो गई है। खाना-पानी सब खत्म होने की कगार पर है। बिजली सप्लाई ठप पड़ी है। अस्पतालों के हालात बद से बदतर हैं। ऐसे में दुनियाभर में इजराइल पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिसके बाद इजराइल ने गाजा पट्टी (Gaza Patti) में मानवीय मदद की अनुमति दे दी है। अरब देश, जर्मनी, अमेरिका और भारत समेत दुनियाभर के कई देश गाजा में सहायता भेजना शुरू कर दिया है। ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि इमरजेंसी हालात में अगर किसी देश तक मदद पहुंचानी है तो इसके क्या निमय होते हैं और किस तरह कितनी मदद की जा सकती है...

वॉर जोन में किस तरह की मदद

इमरजेंसी हालाद में किस तरह की और कितनी मदद की जाएगी, यह उस देश के हालात पर निर्भर करता है। गाजा को देखें तो वहां इलाज के लिए दवाओं, खाने के लिए खाना, पीने के लिए पानी और रहने के लिए टेंट जैसी कई तरह की सुविधाओं की जरूरत पड़ती है। जब कोई देश दूसरे देश की मदद करता है तो उसमें कर्ज देकर, खाना देकर, स्वास्थ्य सेवाएं, हेल्थ केयर, शिक्षा को बेहतर बनाने, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने जैसी मदद और शांति व्यवस्था बनाने वाली मदद शामिल हैं।

इमरजेंसी में एक देश से दूसरे देश कैसे मदद पहुंचती है

किसी युद्ध या दूसरी आपात परिस्थितियों में तत्काल मदद भेजी जाती है। अगर इसके अलावा कोई दूसरी स्थिति है तो दो देशों के बीच एग्रीमेंट होता है, जिसमें मदद के प्रकार, तरीकों और बजट शामिल होता है। कौन सा देश किस तरह की मदद करना चाहता है, यह उस पर निर्भर करता है। आमतौर पर मदद पहुंचाने का दो तरीका होता है।

1. संयुक्त राष्ट्र आर्थिक मजबूत देशों से उनकी ग्रॉस नेशनल इनकम का 0.7 प्रतिशत तक खर्च करने का आग्रह करता है। यूके, तुर्की, डेनमार्क, लक्जमबर्ग, नॉर्वे और स्वीडन दुनिया के कुछ ऐसे देश हैं, जो इस आंकड़े के बराबर या इससे ज्यादा की मदद करते हैं। ये संयुक्त राष्ट्र संघ को डोनेट करते हैं। जिसे जरूरतमंद देशों तक रिलीफ फंड के तौर पर जारी किया जाता है।

2. मुसीबत में फंसे देश को तत्काल मदद दी जाती है। यह मदद भी दो तरह की होती है। इसमें मदद करने वाला देश वर्ल्ड फूड प्रोग्राम जैसी एजेंसी की मदद लेता है या संयुक्त राष्ट्र की मदद से वहां सहायता पहुंचाने का काम करता है। वह एक तय राशि उस एजेंसी या संयुक्त राष्ट्र को दे देता है। इसके बाद उनका काम होता है कि वहां मदद कैसे पहुंचेगी।

अब तक किस देश ने सबसे ज्यादा मदद की

ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) की रिपोर्ट् के मुताबिक, साल 2020 में दुनियाभर में करीब 161.2 बिलियन डॉलर की मदद की गई। इसमें सबसे ज्यादा मदद अमेरिका ने 35.5 बिलियन डॉलर भेजी। इसके बाद जर्मनी 28.4 बिलियन डॉलर, यूके 18.6 बिलियन डॉलर, जापान 16.3 बिलियन डॉलर और फ्रांस 14.1 बिलियन डॉलर का नंबर आता है।

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