आपदा और युद्ध से भी अधिक खतरनाक है अशुद्ध पानी, दुनियाभर में इससे हर रोज 50 हजार से अधिक मौतें

Published : Mar 27, 2022, 12:33 PM IST
आपदा और युद्ध से भी अधिक खतरनाक है अशुद्ध पानी, दुनियाभर में इससे हर रोज 50 हजार से अधिक मौतें

सार

दुनियाभर में शुद्ध पानी की कमी आपदा और युद्ध से भी अधिक भयावह है। इसकी कमी के चलते तमाम देश जलसंकट का सामना कर रहे है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार रोजाना अशुद्ध पेयजल की वजह से ही दुनियाभर में 50 हजार लोगों की मौत हो रही है। हालांकि, भारत में शुद्ध पेयजल के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत नल से जल जैसी कई योजनाएं चालू की गई हैं।  

नई दिल्ली। प्राकृतिक आपदाएं आतीं हैं, लेकिन कुछ समय के लिए अपना असर दिखाती हैं इसके बाद शांत हो जाती हैं। युद्ध भी कुछ समय तक चलता है। उससे भी नुकसान होता है। लेकिन, समय बीतने के साथ सबकुछ सामान्य हो जाता है। लेकिन इन सबसे कहीं ज्यादा दिक्कत पैदा करने वाली समस्या असुरक्षित और अशुद्ध पेयजल की है। पूरी दुनिया इससे जूझ रही है। शायद ही आपने कभी सोचा हो कि अशुद्ध पेयजल से हर रोज दुनियाभर में 50 हजार तक मौतें हो रही हैं। संयुक्त राष्ट्र और डब्ल्यूएचओ की कुछ रिपोर्ट्स में यह जानकारी सामने आई है। 

असुरक्षित पानी से होने वाले प्रमुख रोग
असुरक्षित पानी से हैजा, टाइफाइड और हेपेटाइटिस ए,डायरिया, पोलियो  जैसी गंभीर बीमारी हो जाती हैं। जिससे बड़ी संख्या में इंसानों की मौत तक हो जाती है। आपको जानकार हैरानी होगी कि आपदा या युद्ध से इतनी मौतें नहीं होती हैं, जितनी इन बीमारियों से मौतें होती है। यह आंकड़े पीआरआईओ और उप्साला संघर्ष डेटा कार्यक्रम के साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय बीमा संस्थान के अनुसार असुरक्षित पानी से सर्वाधिक प्रभाव बच्चों को होता है। जो जल जनित रोगों के संपर्क में शीघ्र आ जाते हैं।

अफ्रीका में सबसे अधिक असुरक्षित है पानी
संयुक्त राष्ट्र और डब्ल्यूएचओ की संयुक्त टीम द्वारा की गई निगरानी में पाया गया कि वर्तमान समय में अफ्रीका में रहने वाले लोग असुरक्षित पानी का सेवन कर रहे हैं। जबकि दक्षिण व मध्य अमेरिका जिसमें हैती को छोड़कर सभी देश तीन चौथाई आबादी में रह रहे लोगों के लिए तीस मिनट की दूरी पर सुरक्षित पानी उपलब्ध है। एपीएसी क्षेत्र लगभग तीन चौथाई लोगों को यह बुनियादीसेवाएं भी प्रदान करता है। 

सुरक्षित पानी का स्त्रोत
जहां तक भारत का सवाल है, तो प्राचीन समय से भारतीय लोग कुंआ, झरनों, नदियों आदि का पानी उपयोग में लाते थे, लेकिन समय बीतने के साथ ही कुएं आदि समाप्त होते चले गए। साथ ही पर्यावरण में हो रहे बदलाव के कारण देश में भू-गर्भ जलस्तर भी काफी नीचे चले जाने के कारण अब भारतीयों को भी शुद्ध पानी के लिए अन्य स्त्रोतों पर निर्भर होना पड़ रहा है। भारत नदियों का देश है नदियों के किनारे बसे शहरों व मोहल्लों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित पानी की इतनी समस्या नहीं होती है, जितनी नदियों से दूरदराज रहने वाले लोगों को होती है।

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असुरक्षित पानी से होने वाली मौतों पर एक नजर
द वर्ल्ड काउंट (The World count ) के अनुसार वर्ष 2022 में अभी तक असुरक्षित पानी पीने से पूरे विश्व में 819,266 मौतें हो चुकीं है, जिनमें इस माह में केवल 241,397 और इस सप्ताह 45,509 लोगों की मौतें केवल असुरक्षित पानी से हो चुकी है। आंकड़े के अनुसार एक मिनट में दो व्यक्ति यों की मौत असुरक्षित पानी के सेवन से हो रहीं हैं। 

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