350 साल पहले का वह तूफान जिसने समलैंगिकता को बना दिया था जुर्म, पढ़ें वो कहानी...

सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज मामले में दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है, जिससे यह मुद्दा एक बार चर्चाओं में है। दुनिया के कई देश समलैंगिकता को मान्यता दे चुके हैं, जबकि कुछ इसे जुर्म माना जाता है।

Same Sex Marriage: भारतीय सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज मामले में दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। इस मामले में कम से कम 15 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। पिछले महीने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अगुवाई वाली पीठ ने निर्णय लेते हुए इसे बड़ी बेंच के पास भेजा था, जिन्होंने इसे एक मौलिक मुद्दा करार दिया था। बता दें कि समलैंगिकता को लेकर दुनियाभर में तरह-तरह की बातें होती रही हैं। कहीं इसे कानूनी अधिकार देने की बात की जाती है, तो कहीं इसे जुर्म माना जाता है। हालांकि, कई देशो में समलैंगिकता को कानूनी दर्जा मिल चुका है।

जानकारी के मुताबकि दुनिया के लगभग 30 देश समलैंगिक विवाह को मान्यता दे चुके हैं। ज्यादातर लोगों को नहीं पता है कि समलैंगिक संबंध को जुर्म मानने की शुरुआत कब से हुई? ऐसे में अगर आपको भी इस बात की जानकारी नहीं है, तो कोई बात नहीं आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।

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1674 में आया तूफान

आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि समलैंगिक संबंध को जुर्म मानने की शुरुआत सत्रहवीं सदी में आए एक तुफान के कारण हुई थी। दरअसल, 1674 में उत्तर-पश्चिम यूरोप में एक जबर्दस्त तूफान आया था, जिसने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई थी। तूफान ने नीदर्लैंड का यूट्रेक्ट शहर बर्बाद कर दिया था। तूफान ने शहर की इमारतों को जमीं-दोज कर दिया था। उस समय आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा नीदरलैंड इस काबिल भी नहीं था कि तूफान की वजह से टूटीं इमारतों का मलबा भी उठवा सके। वक्त के साथ यह इमारते खंडहर में तब्दील हो गई.

खंडहरों मे मिलते थे समलैंगिक जोड़े

कहा जाता है कि बाद में इन खंडहरों में ही समलैंगिक जोड़े आकर मिलने लगे। ये सिलसिला कई साल चलता रहा। करीब 50 साल बाद ईसाई पादरियों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और समलैंगिकों को सजाएं दीं। हालांकि बहुत से लोग इस बात पर यकीन नहीं करते, लेकिन उस दौर के दस्तावेज इस बात पर मुहर लगाते हैं।

चर्च को हुआ था नुकसान

इस तूफान में जो इमारतें तबाह हुई थीं, उन्हें एक बार फिर से उनके मूल रूप में लाने की कोशिश की जा रही है। इस काम के लिए उस दौर की पेंटिंग और दस्तावेजों की मदद ली जा रही है. आम तौर से इस तरह कि घटनाओं का बहुत पुराना रिकॉर्ड मौजूद नहीं होता है, लेकिन इस तूफान ने ऐसी तबाही मचाई थी कि उस समय कई लोगों ने इसके बारे में लिखा है। ये तूफान आज यूट्रेक्ट की तारीख़ का एक अटूट हिस्सा बन चुका है, जिसके निशान 350 साल बाद भी मिलते हैं.जानकारी के मुताबिक इस तूफान की सबसे ज्यादा मार मशहूर द डूम कैथेड्रल चर्च पर पड़ी थी। तूफान के कारण चर्च के बीच का हिस्सा पूरी तरह से जमीन पर गिर गया था।

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